भाजपा 135 से ज्यादा सीटें लाने का दावा कर रही है तो कांग्रेस ने भी 140 सीटें हासिल करने की बात कही है। दरअसल, दोनों दलों के दावे में छलकते आत्म्विश्वास के पीछे अपने-अपने वोट बैंक के समीकरण हैं।
भाजपा को उम्मीद है कि प्रदेश की आधी आबादी यानी महिला और संबल योजना से जुड़े वोट उसे सत्ता के सिंहासन पर पहुंचा देंगे। वहीं कांग्रेस के दावे के पीछे किसान, व्यापारी और कर्मचारियों के वोट हैं।
भाजपा
महिलाओं के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्यों से भाजपा यह मानकर चल रही है कि महिलाओं का वोट उसके खाते में जाएगा। प्रदेश में करीब 2 करोड़ 41 लाख महिला मतदाता हैं। इनमें से 1 करोड़ 78 लाख ने मतदान किया है।
प्रदेश की 48 सीटों पर पुरुषों से ज्यादा प्रतिशत महिला मतदान का है। ऐसे में भाजपा अनुमान लगा रही है कि 2013 की 165 सीटों में यदि गिरावट भी आई तो महिला वोट के कारण वह बहुमत के आंकड़े को तो पार कर ही लेगी। एट्रोसिटी एक्ट के कारण वह एससी सीटों पर उम्मीद बांध रही है। संबल योजना से भी उम्मीद है कि इसके हितग्राहियों का वोट भाजपा को ही मिलेगा।
चुनावी दावं: भाजपा ने छात्राओं को स्कूटी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्ट फोन, ग्रामीण छात्राओं और सीनियर सिटीजन महिलाओं के लिए नि:शुल्क बस सुविधा जैसे वादे करके इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।
समाज के हर वर्ग का विश्वास शिवराज सिंह चौहान और कमल के साथ रहेगा। प्रदेश में महिलाओं ने आगे बढकऱ मतदान किया है। यह वोट भी भाजपा के पास ही जाएगा।
विजेश लुनावत, प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा मध्यप्रदेश
किसान इस बार पूरी तरह से कांग्रेस के साथ खड़ा है। हमारी सरकार बनेगी तो किसानों को अत्मनिर्भर बनाएंगे। अन्य वर्ग का 2003 में भी महिला वोट बढ़ा था, लेकिन उन्होंने सत्ता परिवर्तन किया था। इस बार भी यही होगा।
बाला बच्चन, कार्यकारी अध्यक्ष, मप्र कांग्रेस कमेटी
कांग्रेस
कांग्रेस ने इस बार किसानों की नाराजगी भुनाने की पूरी कोशिश की है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी के वचन-पत्र में 973 में से 133 बिंदू किसानों से जुड़े हैं। कर्जमाफी के साथ ही बिजली बिल आधे करने का वादा भी किया गया है। प्रदेश में 69 प्रतिशत मतदाता खेती से जुड़े हैं। इसमें से 31% किसान हैं तो 38त्न खेतिहर मजदूर हैं। इस बार ग्रामीण इलाकों में अच्छी वोटिंग हुई है। साथ ही कांग्रेस युवा और व्यापारी वर्ग के दम पर सत्ता का वनवास खत्म करने का दावा कर रही है।
चुनावी दावं: कांग्रेस ने सरकार बनने के दस दिन के भीतर किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ करने का वादा किया है। इसके साथ ही उसने कई फसलों पर समर्थन मूल्य के साथ बोनस बढ़ाने का भी दावं चला है।