scriptसफेदपोश छुरा भी चलाते हैं तो खून तक नहीं टपकता, हम कुछ नहीं भी करते हैं तो कत्ल हो जाता है | White collar also runs the stabilized, the blood does not drip | Patrika News

सफेदपोश छुरा भी चलाते हैं तो खून तक नहीं टपकता, हम कुछ नहीं भी करते हैं तो कत्ल हो जाता है

locationभोपालPublished: Jul 20, 2018 08:07:00 am

Submitted by:

hitesh sharma

जज को चोर बताता है मौजूदा दौर का सच, नाटक आधी रात के बाद का मंचन गुरुवार को शहीद भवन में हुआ
 

drama

सफेदपोश छुरा भी चलाते हैं तो खून तक नहीं टपकता, हम कुछ नहीं भी करते हैं तो कत्ल हो जाता है

भोपाल। वर्ष 1981 में डॉ. शंकर शेष द्वारा लिखित सामाजिक, राजनीतिक हालात पर आधारित और अरुणा सुमन द्वारा निर्देशित नाटक आधी रात के बाद का मंचन गुरुवार को शहीद भवन में हुआ। नाटक की प्रस्तुति रंग दर्शन नाट्य संस्था के कलाकारों ने दी। यह नाटक नकली दवाइयां बनाने वाली कंपनियों का सरकार पर दबदबा, बिल्डर माफिया की मनमानी को उजागर करता है।
यह दिखाता है कि गरीबों की झुग्गी-झोपडिय़ां खत्म करके, वहां बिजनेस किया जाता है, आवाज उठाने वालों को मार दिया जाता है। यह नाटक हमारी न्याय व्यवस्था पर कटाक्ष करता है कि कैसे छोटेे अपराधियों को सजा दिलाने के लिए तो हमारी न्याय व्यवस्था तत्पर रहती है। वहीं बड़े अपराधी, जो करोड़ों का गबन करते हैं या लोगो की जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं उन पर कानून का लंबा हाथ नहीं पहुंचता।
जल्दी जेल जाने के लिए जज के घर में घुसता है चोर
नाटक के दौरान आधी रात के समय एक चोर जज के घर में जल्दी से जल्दी जेल जाने के मकसद से घुसता है और जज से पुलिस को फोन करके बुलाने को कहता है। जज के घर का फोन डेड होने के कारण दोनों के बीच काफी देर तक बातचीत होती है। चोर के रोचक किस्सों और अनुभव सुनकर जज उसके व्यक्तित्व से प्रभावित हो जाता है। नाटक के अंत में चोर जज के घर में घुसने का असली कारण बताता है और पत्रकार की हत्या और मुम्बई की चाल की आग के सबूत जज को दिखाता है और उन्हीं सबूतों के साथ पुलिस कार्रवाई करती है।
8 दिन पहले हुए नाटक से अलग दिखा यह नाटक

संस्था द्वारा करीब 5 साल पहले भी भारत भवन में इस नाटक का मंचन किया जा चुका है। वहीं 10 जुलाई को आशीष श्रीवास्तव के निर्देशन में भी शहीद भवन में यह नाटक मंचित हो चुका है। गुरुवार को हुए नाटक में 8 दिन पहले हुए नाटक से बहुत से अंतर दिखे। इस नाटक में चोर जब-जब कहानी सुनाता है उस दौरान थिएट्रिकल एसेंस का यूज किया है।
जज और चोर उस किस्से के किरदार बन जाते हें। अरुणा के निर्देशन में तैयार इस प्ले की अवधि एक घंटा 20 मिनट रही जबकि आशीष द्वारा निर्देशित प्ले एडिटेड था। अरुणा ने नाटक के सेट को दो भागों में दिखाया। एक तरफ किचन तो दूसरी तरफ जज का कमरा दिखाया। सेट में किसी भी प्रकार की दीवार नहीं थी मगर इसका प्रजेंटेशन कुछ ऐसा था कि मानों किरदार दीवारों के बीच है।
पूर्वरंग में कथक प्रस्तुति
वहीं पूर्वरंग में मोनिका चौहान और अर्चना यादव ने कथक प्रस्तुति दी। कथक की शुरुआत देवी स्तुति ‘जय भगवती देवी नमोÓ के साथ हुई। फिर दोनों ही कलाकारों ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मोर की गत यानी पीकॉक डांस से सभी को अपनी और आकर्षित किया। इसकेबाद तबले के साथ घुंघरुओं की जुगलबंदी ‘तत्कारÓ की प्रस्तुति हुई। अंत में गुरुवंदना ‘गुरु प्रणामÓ के साथ प्रस्तुति का समापन हुआ।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो