सड़ी प्याज के नुकसान का भार कौन उठाएगा, अभी तय नहीं
भोपाल. सरकारी दर पर खरीदी गई प्याज खराब होने के बाद नुकसान की जिम्मेदारी कौन उठाएगा, यह तय नहीं हो पाया है। सरकार को इस वर्ष प्याज खरीदी में लगभग 33 करोड़ के नुकसान का अनुमान है। इधर भोपाल मंडी में खराब प्याज का परिवहन कर दिया है, लेकिन प्रदेश की मंडियों में 20 हजार मीट्रिक टन प्याज अभी भी रखना बताया जा रहा है।
किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बाद प्रदेश सरकार ने इस वर्ष 5 से 30 जून तक प्याज खरीदी आठ रुपए प्रति किलो की दर पर करवाई थी, जो वर्ष 2016-17 से दो रुपए किलो ज्यादा था। प्याज खरीदी करने की जिम्मेदारी मार्कफेड को दी गई, जबकि परिवहन का काम मप्र नागरिक आपूर्ति निगम को सौंपा गया। प्रदेश के जिलों में रखी प्याज का परिवहन करवाने नागरिक आपूर्ति के अफसर दौरे पर है। शहडोल, नरसिंहपुर, कटनी, आगर मालवा, सीहोर, शाजापुर की मंडियों में प्याज रखी हुई है।
नुकसान की जिम्मेदारी
कुल खरीदी गई प्याज में से 87 फीसदी दो रुपए प्रति किलो से ऊपर नीलाम हुआ, 13 फीसदी खराब हो गई। अधिकारियों का दावा है कि पांच प्रतिशत प्याज बचा लिया और उसको बेचा गया। करीब 38 लाख मीट्रिक टन प्याज राशन दुकानों (पीडीएस) से बेचा गया। जो नुकसान हुआ, उसकी जिम्मेदारी किसकी रहेगी, कौन पैसे जमा करेगा तय नहीं हो पाया। कुल नुकसान में 5 प्रतिशत मप्र नागरिक आपूर्ति निगम, 3 प्रतिशत मार्कफेड एवं 2 प्रतिशत वेयरहाउसों को होना बताया जा रहा है।
इस तरह हुई खरीदी गई प्याज की फजीहत
मंडियों में रखे हुए प्याज की नीलामी की गई, लेकिन अच्छा भाव नहीं मिलने से नीलामी प्रक्रिया धीमी गति से चली। इस बीच बरसात का दौर शुरू हो गया। बरसात के असर और सही रखरखाव नहीं होने से करीब 35 हजार टन प्याज पूरी तरह से खराब हो गई। प्रारंभिक आकलन लगाया जा रहा है कि खराब प्याज की कीमत लगभग 33 करोड़ रुपए आ रही है, जो सीधा-सीधा सरकार के खजाने पर चोट है। सड़ी हुई प्याज को लेकर अधिकारियों ने दाम गिराकर 10 से 25 पैसे प्रति किलो तक भाव कर दिए थे, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई।
प्याज खरीदने से लेकर अब तक विभिन्न कारणों से जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए कोई अभी एजेंसी तय नहीं हुई है। कुछ जगह प्याज अभी रखा है, उसे परिवहन करने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
विकास नरवाल, प्रबंध संचालक, मप्र नागरिक आपूर्ति निगम