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सरकारी शेयरिंग वाली बसें क्यों हैं ठप?

locationभोपालPublished: Jun 26, 2020 12:46:05 am

Submitted by:

anil chaudhary

– सार्वजनिक परिवहन बंद, यात्री परेशान

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Orders to run buses in districts by June 30 with 50 percent capacity

– कई नगरीय निकायों में सरकार की बनाई कंपनियां संचालित करती थीं बसें, अब ये भी बंद
भोपाल. प्रदेश में ठप पड़े सार्वजनिक परिवहन के कारण जनता की परेशानी हर दिन बढ़ रही है, लेकिन सरकार ने बसों के संचालन को लेकर अब तक ठोस कदम नहीं उठाए हैं। जिन बस ऑपरेटिंग कंपनियों में स्थानीय निकायों की साझेदारी है, उन कंपनियों की बसें भी संचालित नहीं हो रही हैं। सरकार कम से कम उन निकायों में बसें संचालित कर सकती थी, जहां पर सरकारी हिस्सेदारी वाली बसें संचालित होती हैं।
प्रदेश के भोपाल, इंदौर सहित डेढ़ दर्जन निकायों में सरकारी साझेदारी वाली बसें संचालित होती हैं। इन जगहों पर स्थानीय निकाय ने अंशदान मिलाकर कंपनियां बनाई हैं। इसके बाद इन कंपनियों के तहत निजी ऑपरेटर बस संचालित करते हैं, लेकिन वर्तमान में इनमें से किसी भी जगह पर बस परिवहन संचालित नहीं हो रही है। प्रदेश में बसों के पहिए करीब तीन महीने से थमे हुए हैं। यहां तक कि स्थानीय निकायों ने अपने स्तर पर भी बसों के संचालन के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं। अब तक किसी भी स्थानीय निकाय में बस ऑपरेटर को समझौते के लिए कोई प्लेटफार्म तक उपलब्ध नहीं कराया है।
– टैक्स माफी पर अड़े ऑपरेटर्स
प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर लॉकडाउन पीरियड की टैक्स माफी पर अड़े हुए हैं। साथ ही वह बसों का किराया बढ़ाना चाहते हैं। इसके अलावा 50 फीसदी क्षमता से चलाने की स्थिति में आर्थिक नुकसान की भरपाई की मांग कर रहे हैं। इन मांगों को लेकर बस ऑपरेटरों ने बस संचालन करने से मना कर दिया है।

– आठ जून से शुरू होना था बसें
राज्य शासन ने आठ जून से प्रदेश में बसों के संचालन की छूट दी थी। इसके तहत भोपाल, इंदौर और उज्जैन में 50 फीसदी क्षमता के साथ बस संचालन करना था। वहीं, बाकी जिलों में पूरी क्षमता के साथ संचालन की छूट दी गई थी, लेकिन बस संचालक इस पर राजी नहीं हैं। इंदौर और भोपाल प्रदेश के सबसे बड़े स्टार्टिंग प्वॉइंट है, इसलिए 50 फीसदी क्षमता को लेकर भी बस संचालक आर्थिक नुकसान की भरपाई चाहते हैं।
– घाटे में कई निकायों की कंपनियां
प्रदेश में कई जगह पर स्थानीय निकाय की हिस्सेदारी वाली कंपनियां भी बस संचालन में घाटे में हैं। इनमें भोपाल सहित आधा दर्जन जिलों की कंपनियां शामिल हैं। ऐसी स्थिति में बसों के संचालन को लेकर निजी ऑपरेटर पूरी तरह राजी नहीं हैं, इस कारण भी बसों के संचालन में दिक्कत आ रही है। उस पर सरकार और स्थानीय निकायों ने भी इस मामले में सुलह के कदम नहीं बढ़ाए हैं।

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