सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद राज्यपाल टंडन ने इस फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए। इसी के साथ ही राज्य में महापौर और अध्यक्ष के अप्रत्यक्ष चुनाव का रास्ता साफ हो गया। अब पार्षद ही महापौर और अध्यक्ष चुनेंगे। इस अध्यादेश पर लगातार आपत्ति कर रही भाजपा ने इसका विरोध करने का निर्णय लिया है।
राज्यपाल ने भले ही अवकाश के दिन अध्यादेश को हरीझंडी दे दी हो लेकिन राज्य सरकार तक यह फाइल बुधवार को ही भेजी जाएगी। हालांकि मौखिक रूप से इसकी सूचना सरकार को दे दी गई है। इस सूचना के साथ ही निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्ष चुनाव को लेकर बनी असमंजस भी समाप्त हो गई।
सीएम की मुलाकात के बाद बनी सहमति —
मुख्यमंत्री कमलनाथ की सोमवार को राज्यपाल टंडन से मुलाकात के बाद यह संभावना बन गई थी कि राज्यपाल अध्यादेश पर सहमत हैं। हालांकि राज्यपाल ने विधेयक से जुड़ी कुछ जानकारी सरकार से मांगी थी, इसे उपलब्ध कराए जाने के साथ ही इसे मंजूरी मिलने का रास्ता भी साफ हो गया। मंगलवार को शासकीय अवकाश के बावजूद राजभवन फिर सक्रिय हुआ।
राज्यपाल ने इससे जुड़ी फाइल बुलाई। एक-एक बिन्दु पर फिर से विचार हुआ और इसे हरीझंडी दे दी। मालूम हो राज्यसभा सांसद विवेक तनखा के ट्वीट से राज्यपाल नाराज हो गए थे और बनते-बनते बात बिगड़ गई थी। हालांकि राज्यपाल से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया सरकार तनखा के विचारों से सहमत नहीं है। यह उनके निजी विचार हो सकते हैं।
भाजपा का जारी रहेगा विरोध – मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि संशोधन अध्यादेश पर आपत्ति कर रही भाजपा और ऑल इंडिया मेयर कांउसिल ने इसका विरोध करने का निर्णय लिया है। ऑल इंडिया मेयर कांउसिल के राष्ट्रीय महासचिव उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि काउंसिल की 12 एवं 13 अक्टूबर को सूरत में होने वाले महाधिवेशन में इस मुद्दे का उठाया जाएगा।