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पिछड़ा जाति के वोटरों पर क्यों फोकस करती हैं राजनीतिक पार्टियां, ये हैं सियासी समीकरण

locationभोपालPublished: Mar 19, 2019 03:01:36 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

पिछड़ा जाति के वोटरों पर क्यों फोकस करती हैं राजनीतिक पार्टियां, ये हैं सियासी समीकरण

obc voters

आखिरी पिछड़ा जाति के वोटरों पर क्यों फोकस करते हैं राजनीति दल, ये हैं सियासी समीकरण

भोपाल. लोकसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 27 फीसदी कर दिया। इसे बड़ा चुनावी दांव माना जा रहा है। मध्यप्रदेश में दलितों के मुकाबले में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या अधिक है। मध्यप्रदेश में दलित वोटरों को लुभाने के बजाए पिछड़ा वर्ग के वोटरों को लुभाने की कोशिश करते हैं। मध्यप्रदेश की सियासत में दलितों के बड़े नेताओं का अभाव है उत्तर प्रदेश की तरह मध्यप्रदेश में दलितों के लिए कोई भी मायवती या काशीराम नहीं हैं, जबकि पिछड़ा वर्ग के कई बड़े नेता मुख्यमंत्री भी बन चुके हैं।

हाईकोर्ट ने दिया बड़ा झटका
पिछड़ा जाति को आरक्षण देने के मामले में मध्यप्रदेश के हाईकोर्ट ने कमलनाथ सरकार को बड़ा झटका दिया। सरकार ने 27 फीसदी आरक्षण पर कोर्ट ने रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा- कि शिक्षण संस्थानों में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं होना चाहिए। सरकार के इस फैसले पर हाइकोर्ट ने रोक लगा दी है।
मध्यप्रदेश में जातिगत समीकरण

जातिआबादी
सवर्ण15 फीसदी
ओबीसी37 फीसदी
एससी16 फीसदी
एसटी23 फीसदी
अन्य9 फीसदी
क्षेत्रवार वोटरों का जातिगत समीकरण

क्षेत्रसवर्णओबीसीएससीएसटीअन्य
मालवा-निमाड़11 फीसदी12 फीसदी20 फीसदी38 फीसदी19 फीसदी
मध्य24 फीसदी17 फीसदी19 फीसदी15 फीसदी25 फीसदी
महाकौशल22 फीसदी18 फीसदी09 फीसदी31 फीसदी20 फीसदी
विंध्य29 फीसदी14 फीसदी12 फीसदी21 फीसदी24 फीसदी
बुंदेलखंड18 फीसदी26 फीसदी20 फीसदी12 फीसदी24 फीसदी
ग्वालियर-चंबल28 फीसदी32 फीसदी21 फीसदी8 फीसदी11 फीसदी
मध्यप्रदेश में लोधी, कुर्मी, किरार, कलार, पाटीदार, जाट, खाती, मीणा, काछी और डांगी पिछड़े वर्ग की प्रमुख जातियां हैं। 15 साल तक मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार रही। इस दौरान तीन नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया गया। उमा भारती लोधी जाति से आति हैं। शिवराज सिंह चौहान किरार जाति के हैं और ओबीसी वर्ग कोटे से आते हैं। मध्यप्रदेश में ओबीसी में कुर्मी वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है। अगर बात विंध्यक्षेत्र की की जाए तो सतना, रीवा, और सीधी जिले में पटेल वोटरों की आबादी अधिक है। जबकि शाजापुर, पन्ना, छतरपुर और शहडोल में भी पेटल वोटर की तादात दलितों की अपेक्षा अधिक है।
दोनों पार्टियों के प्रमुख नेता
लोधी नेताओं में भाजपा के प्रह्लाद पटेल और उमा भारती शामिल हैं। कांग्रेस नेता रामनिवास रावत और भाजपा सरकार के मंत्री सूर्य प्रकाश मीणा प्रदेश के प्रमुख मीणा नेता हैं। पाटीदार नेताओं में भाजपा विधायक मुरधीर पाटीदार और बालकृष्ण पाटीदार हैं। कांग्रेस के इंद्रजीत पटेल, कमलेश्वर पटेल और राजमणि पटेल पटेल आबादी के बड़े नेता हैं, वहीं, सतना से सांसद सांसद गणेश सिंह भाजपा के प्रमुख पटेल नेता हैं। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान खुद किरार समुदाय से आते हैं और उनके नाम मध्यप्रदेश में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी है। भाजपा विधायक नारायण सिंह कुशवाहा काछी समुदाय के बड़े नेता हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा और कमल पटेल के और सांसद उदय प्रताप सिंह यहां के प्रमुख जाट नेता हैं। मीणा पश्चिमी मध्य प्रदेश में हैं और होशंगाबाद, भोपाल, रायसेन, विदिशा, सीहोर, धार, खंडवा, खरगोन जिलों में इनका असर है। मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर और आगर में पाटीदारों का प्रभाव है। प्रदेश में जाट आबादी मुख्य रूप से धार, होशंगाबाद, हरदा और नरसिंहपुर में है। मध्यप्रदेश के विंध्य अंचल में ब्राह्मण वोटरों का भी दबदबा है।
किस अंचल में कितनी लोकसभा सीटें

क्षेत्रलोकसभा की संख्यालोकसभा सीटों के नाम
मालवा-निमाड़08उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगोन, खंडवा, देवास
मध्य03भोपाल, विदिशा, राजगढ़
महाकौशल06जबलपुर, मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद, बैतूल
विंध्य04रीवा, सतना, सीधी, शहडोल
बुंदेलखंड04सागर, दमोह, टीकमगढ़, खजुराहो
ग्वालियर-चंबल04मुरैना, भिंड, गुना-शिवपुरी, ग्वालियर
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