पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए उत्तर प्रदेश के मेरठ से अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की थी। अंत मध्यप्रदेश के खरगोन में हुई है। इसके पीछे की वजह भी बहुत दिलचस्प है। खरगोन में रैली करने के बाद पीएम मोदी सीधे दिल्ली स्थिति बीजेपी मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करने पहुंचे।
पांच साल में पहली बार पीएम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं मध्यप्रदेश से सीधे यहां आया हूं। उन्होंने कहा कि चुनावी अभियान की शुरुआत मेरठ से हुई थी और खरगोन में खत्म हुई है। पीएम ने कहा कि आपलोगों को लगता होगा कि ये सब कुछ ऐसे ही हुआ है। लेकिन सबकुछ पहले प्लानड होता है। इसका ऐतिहासिक महत्व है। मेरठ और खरगोन के बीच एक ऐसी डोर है, जिस ओर लोगों का ध्यान नहीं जाता है।
पीएम ने कहा कि ये दोनों ही शहर 1857 के स्वतंत्रा संग्राम से जुड़े हुए हैं। मेरठ में जहां अंग्रेजों के खिलाफ सैनिक विद्रोह हुआ था, वहीं खरगोन की धरती पर महान योद्धा और स्वतंत्रता सेनानी भीमा नायक ने आदिवासी आंदोलन का नेतृत्व किया और मां भारती की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दे थी।
मोदी ने अपनी बातों में आदिवासी योद्धा भीमा नायक का जिक्र किया। जो मध्यप्रदेश के खरगोन इलाके के ही रहने वाले थे। उन्होंने कहा था कि 1857 क्रांति का नेतृत्व किया। कौन हैं भीमा नायक
आदिवासी योद्धा भीमा नायक ने अकेले अपने बूते अंग्रेजी शासन की चूलें हिला दी थीं। आजादी की लड़ाई में उन्होंने आदिवासियों को एकजुट किया था। हालांकि उनके जीवन के कई तथ्य आज भी अबूझ हैं। इंटरनेट पर उपलब्ध रिसर्च पेपर के अनुसार उनका कार्य क्षेत्र बड़वानी रियासत से वर्तमान महाराष्ट्र के खानदेश तक रहा है।
आदिवासी योद्धा भीमा नायक ने अकेले अपने बूते अंग्रेजी शासन की चूलें हिला दी थीं। आजादी की लड़ाई में उन्होंने आदिवासियों को एकजुट किया था। हालांकि उनके जीवन के कई तथ्य आज भी अबूझ हैं। इंटरनेट पर उपलब्ध रिसर्च पेपर के अनुसार उनका कार्य क्षेत्र बड़वानी रियासत से वर्तमान महाराष्ट्र के खानदेश तक रहा है।
1857 में हुए अंबापानी युद्ध में भीमा की महत्वपूर्ण भूमिका थी। निमाड़ के रॉबिनहुड कहे जाने वाले स्वतंत्रता सेनानी भीमा नायक का कुछ साल पहले मृत्यु प्रमाण-पत्र पहली बार सामने आया था। जिसमें ये जिक्र था कि उनकी मौत 29 दिसंबर 1876 को पोर्ट ब्लेयर में हुई थी।