वहीं दूसरी ओर यातना झेलने के बाद समाज का तिरस्कार और बनाई जा रही दूरी भी काफी दुखदायी है। ऐसी ही पीड़ा भरी दास्तां है मासूम और उसकी मां-बहन की।
‘जैसे ही मकान मालिक का हमारे साथ हुई ज्यादती का पता चलता है, हमें कमरा खाली करना पड़ता है। और शुरू हो जाती है दूसरे घर की तलाश…वहां भी कुछ ही दिनों में ही हमारी हकीकत खुल जाती है और फिर वही कमरा खाली करना और नए छत की तलाश…
ये पीड़ा है उस मासूम की मां-बहन की, जिसने तीन महीने तक पान वाले, चौकीदार और एक युवक की हैवानियत झेली और अब दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
16 नवंबर 2017 को जब 10 साल की छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना सामने आई थी, तो सन्न रह गया पूरा शहर उसके साथ नजर आया था, लेकिन अब उसकी पीड़ा भरी दास्तां का पता चलते ही मकान मालिक और मोहल्ले वाले मुंह फेर लेते हैं।
पुलिस ने तीनों आरोपियों और उनकी सहयोगी महिला को पकड़ा, उन्हें उम्रकैद की सजा भी हुई।
पीडि़त परिवार को सहायता राशि भी मिली, लेकिन परिवार की मुसीबतें कम नहीं हो रहीं। राशि ब”ाी के बालिग होने पर मिलेगी, तब तक विधवा मां किसी तरह ब”िायों का भरण-पोषण कर रही है।
लेकिन मुश्किल ये है कि परिवार का दर्द कोई समझने को तैयार नहीं है। तभी तो बरखेड़ी से निकलकर उन्हें जहांगीराबाद में महिला वकील के यहां, फिर मेहतर कॉलोनी, अहीर कॉलोनी में कुछ दिनों ही ठिकाना मिला।
सरकार ने पीडि़ता को बैरागढ़ के हॉस्टल में रखा, लेकिन वहां से भी मारपीट के बाद निकलना पड़ा।
अब बड़ी बहन के साथ पीडि़त बच्ची की पढ़ाई भी बंद पड़ी है। शहर में एक जगह 45 डिग्री सेल्सियस में टीन की छत के नीचे दो बेटियों के साथ दिन काट रही बीमार मां कहती है कि चिंता यही है कि यहां भी मकान मालिक को पता चल गया तो क्या होगा?