डॉक्टर्स का मानना है कि जब हम सांस लेते हैं उस वक्त जब भी हमारी नली में कोई धूल का कण या फिर महीन रेशा फंस जाता है, तो हमारा शरीर उसे बाहर निकालने के लिए छींकने की प्रक्रिया को अपनाता है। ऐसा करने के दौरान हमारी पलकें खुद ही झपक जाती हैं। इस दौरान पलकों के झपकने के पीछे ट्राईजेमिनल नर्व ( Trigeminal neuralgia) जिम्मेदार होती है। ये नर्व सिर्फ हमारी आंखों को ही नहीं बल्कि इसके साथ-साथ ये हमारे चेहरे, मुंह, नाक और जबड़े को भी कन्ट्रोल करती है।
ट्राईजेमिनल नर्व के साथ-साथ इस प्रक्रिया के लिए क्रेनियल नर्व्स ( Peripheral nervous system) भी जिम्मेदार होती हैं। ये वो नर्व्स होती हैं जो कि आंख और नाक से जुड़ी होती हैं। जब भी छींकते हैं, उस वक्त हमारे लंग्स हवा को तेज़ी से बाहर की तरफ फेंकते हैं और इसी दौरान हमारा दिमाग पलकों की नर्व्स खींचने का मैसेज देता है जिसके कारण हमारी आंखें बंद हो जाती हैं।
छींक के बारे में जानें ये फैक्ट्स
मौसम में बदलाव के साथ छींक आना आम बात है। अगर हम छींक की तीव्रता की बात करें तो ये करीबन 90 से 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से आती है। जब छींक आती है तो उस दौरान आंखों की करीबन 3 नसें काम करती हैं। ये नसें बहुत ही नाज़ुक होती हैं जिसके कारण अगर आंख खोलकर छींक ली जाए तो ये नसें उस दवाब को झेल नहीं पाएंगी।