यह उंगली ज्योतिष के आधार पर अनामिका के नाम से जानी जाती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अनामिका में ही सगाई की अंगूठी पहनाने के पीछे कुछ खास धार्मिक मान्यताएं होती है। सदियों से ऐसी परंपरा चली आ रही है कि होने वाले वर-वधु इसी उंगली में अंगूठी पहनें। लेकिन ऐसा क्यों? आज हम आपको बताते हैं।
उंगली की नसें सीधे दिल से जुड़ी
इस परंपरा की शुरुआत रोमन एरा में हुई थी और एक रोमन कपल ने इसकी शुरुआत की थी। इसके पीछे ये तर्क है कि इस उंगली की नसें सीधे दिल से जुड़ी होती हैं। तभी इसे 'vena amoris' और vein of love भी कहा जाता है। बस,तभी से इंडिया हो या कोई पश्चिमी देश,कपल्स इसी उंगली में रिंग पहनने लगे और इस उंगली का नाम ही रिंग फिंगर पड़ गया। वहीं मान्यता है कि सगाई की अंगूठी का आकार गोल होना चाहिए, ऐसा करने के पीछे बताया जाता है जिस तरह गोले का न तो आरंभ होता है न अंत विवाह के रिश्ते को भी अनंत बनाए रखने के लिए सगाई की अंगूठी आमतौर पर गोल आकार ही पहनाई जाती है।
प्यार को जाहिर करने का तरीका
कहते हैं कि शादी की अंगूठी पहनना एक दूसरे के लिए प्यार जाहिर करने का तरीका होता है। इस तरह कपल एक दूसरे को रोमांटिक तरीके से अपने प्यार का इजहार करते हैं। शादी वाले दिन एक दूसरे की उंगली में अंगूठी पहनाकर हम एक दूसरे के प्रति वफादार व प्रतिबद्ध रहने का प्रण लेते हैं। इसे पहन कर व्यक्ति अपनी पत्नी व परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करने की क्षमता को प्रकट करता है।