हाल ही में यहां पर तारों की चपेट में आ जाने से एक मोर की मौत हो चुकी है। तारों के बीच होने वाली स्पार्र्किंग या एेसी ही घटना बड़े हादसे का कारण बन सकती है। एेसे में वन विभाग को अब वन्यप्राणियों की चिंता सताने लगी है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में कलियासोत केरवा के जंगलों में बाघिन टी-१२३ और दो शावकों सहित यहां पर बाघ टी-१, बाघ टी-१२१ और दो अन्य बाघों की उपस्थिति बनी हुई है। गर्मी के चलते घास और पेड़ों से गिरे पत्ते पूरी तरह सूख चुके हैं। बिजली तारों के बीच होने वाली स्पार्र्किंग या फिर तार टूटने से यहां आग लगने जैसी घटनाएं हो सकती हैं। भानपुर सर्किल का चीचली वाला यह मार्ग बाघ मूवमेंट का मुख्य मार्ग है। कलियासोत केरवा में आने वाले अधिकतर बाघ इसी मार्ग से प्रवेश करते हैं। यहां पर बाघ गेट भी बना हुआ है।
बिना कोडिंग के बिछा दिए बिजली के तार
जानकारों के अनुसार जंगल के बीच निकलने वाली विद्युत लाइन के तारों में रबर कोडिंग की जानी चाहिए थी, लेकिन नगर निगम ने बिना कोडिंग के ही तार की लाइन खींच दी। इस संबंध में वन विभाग की भी बड़ी लाइपरवाही सामने आई है। जिस समय नगर निगम द्वारा बिजली के तार तार बिछाए जा रहे थे, उस समय इसको लेकर आपत्ति दर्ज कराई जानी चाहिए थी।
जंगल में काफी कम ऊंचाई पर लगाए हैं तार
बता दें कि नगर निगम द्वारा बिछाए गए बिजली के इन नंगे तारों को जंगल में काफी कम ऊंचाई पर लगाया गया है। मोर जैसा भारी भरकम पक्षी कम ऊंचाई और छोटी दूरी के लिए ही उड़ान भरता है। एेसे में हाल ही में उड़ान भर रहा एक मोर इन तारों की चपेट में आकर करंट से झुलस गया, जिसकी मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद भी इस ओर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है।
इस संबंध में नगर निगम से चर्चा करुंगा
आपके माध्यम से यह मामला मेरे संज्ञान में आया है। यह निश्चित तौर पर एक गंभीर मुद्दा है। मैं इस संबंध में तत्काल नगर निगम से चर्चा करुंगा।
एसपी तिवारी, कंजर्वेटर फॉरेस्ट भोपाल वनमंडल