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देश से विलुप्त हो रहे जंगली भैंसे कान्हां में होंगे संरक्षित

locationभोपालPublished: Jan 21, 2020 09:27:53 am

Submitted by:

Ashok gautam

– छत्तीसगढ़ के उदयंती पार्क में बचे हैं मात्र 11 जंगली भैंसे
– डब्ल्यूआईआई करेगा फिजिबिल्टी सर्वे

जंगली भैंस

जंगली भैंस

भोपाल। दुनिया में जंगली भैंसों की नस्ल विलुप्त होने की कगार पर है। उनकी नस्ल बचाने और वंशवृद्धि के लिए प्रदेश सरकार उन्हें कान्हां नेशनल पार्क में बसाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) देहरादून को फिजिबिल्टी सर्वे करने के लिए कहा है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर उन्हें कान्हां नेशनल पार्क में बसाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के पास प्रस्ताव भेजा जाएगा।


वाइल्ड लाइफ वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का मानना है कि पूरे देश में जंगली भैंसों की शुद्ध नस्ल पूरी तरह से समाप्त होती जा रही है। छत्तीसगढ़ के उदयंती पार्क में इस शुद्ध नस्ल के 11 भैंसे हैं, जिसमें मात्र दो ही मादा बचे हैं। वन विभाग ने इनमें से एक-एक नर और मादा भैंसों को यहां लाने के संबंध में नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथारिटी (एनटीसीए) प्रस्ताव भेजा था।

इसके पीछे वन विभाग ने यह तर्क दिया था कि जब मप्र-छग का विभाजन नहीं हुआ था तो यहां जंगली भैंसे पाए जाते थे। मप्र का वातावरण उनके रहवास विकास के लिए बेहतर है। इसके चलते उन्हें मप्र लाने की अनुमति दी जाए। इस प्रस्ताव पर एनटीसी ने वन विभाग से कहा कि भैंसों के रहने के संबंध में पहले फिजिबिल्टी सर्वे कराएं। रिपोर्ट पाजिटिव होने के बाद ही छत्तीसगढ़ से मप्र भैंसों को विस्थापित करने पर विचार किया जाएगा।


छग से पहले मिल चुकी है सहमति

वन विभाग के अधिकारियों ने जंगली भैंसा यहां लाने के संबंध में छग के वन विभाग के अधिकारियों से करीब एक साल पहले चर्चा की थी। चर्चा के दौरान वहां के अधिकारियों ने भैंसों को मप्र भेजने के संबंध में सहमति दी थी। इसी को आधार बनाने हुए वन विभाग के अधिकारियों ने जंगली भैंसों को यहां लाने के संबंध में प्रस्ताव तैयार कर किया है।

कान्हां नेशनल पार्क में बेहतर चारागाह
कान्हां नेशनल पार्क के सुपखार क्षेत्र में जंगली भैंसे को रखने की तैयारी की जा रही है। इस क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में चारागाहर और पानी की व्यवस्था है। यह क्षेत्र शाकाहारी वन्य जीवों के लिए उपयुक्त बताई जा रही है। वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में करीब बीस से तीन किलोमीटर की एरिया में विरले, छोटी झारियों के जंगल के साथ घास के कई मैदान भी इस क्षेत्र में हैं।


बायसन पर होता है लोगों को धोखा

प्रदेश में बायसन कई नेशनल पार्क में हैं। दर असल जंगली भैंसों के आकार के ही बायसन होते हैं। इसके चलते बायसन और जंगली भैंसों पर लोगों पर धोखा खा जाते हैं। बायसन से जंगली भैसे का आकार बड़ा होता है। जानकारों की माने तो बायसन की सबसे आसन तरीके से पहचान उनके खुर से होती है। खुर आस-पास का हिस्सा सफेद होता है, जबकि जबकि जंगली भैंसों का काली होता है। बायसन गाय प्रजाति का होता है, जबकि जंगली भैंसा भैंस प्रजाति का होता है। दोनों की सींघों में भी काफी अंतर होता है।

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