हालत ये है कि किनारे के निर्माणोंं से पानी टकराने लगा है। बारिश में हर साल तालाब सरहदें लांघकर आसपास हुए निर्माणों के परिसर में जाकर प्रशासन को बताता है कि लालची उसके क्षेत्र में घुस आए हैं। उसे खत्म करने में लगे हैं, लेकिन उसकी आवाज नक्कार खाने में तूती की तरह गूंजकर रह जाती है।
भयावह हो रही स्थिति
वीआईपी रोड की ओर कोहेफिजा से लेकर सईद नगर, खानूगांव तक तालाब के लगभग अंदर तक निर्माण है। खानूगांव में निर्माण अब भी जारी है और रिटेनिंग वॉल ने लोगों को तालाब के अंदर तक उतरने का भरपूर मौका दिया।
लालघाटी से बैरागढ़ की ओर तालाब के भीतर तक चले गए 15 से अधिक मैरिज गार्डन व किनारे की 4000 झुग्गियों ने तालाब का ये कोना पूरी तरह खत्म कर दिया है।
प्रेमपुरा, भदभदा, नेहरू नगर की और तालाब के भीतर तक उतरी झुग्गियों के साथ किनारे पर ही बनी तीन बड़ी होटलें चुनौती देती नजर आ रही हैं। यहां 50 मीटर तक प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण हो चुका है। लगातार निर्माण जारी हैं।
बोट क्लब से राजाभोज सेतु तक तालाब के किनारे ही पुराना निर्माण है। यहां तालाब के किनारे पूरी तरह से बंधे हुए हैं।
फुलटैंक लेवल: 11 फीसदी क्षेत्र में अतिक्रमण
एक हजार साल पहले राजाभोज ने तालाब को बनाया था। कैचमेंट 362 वर्ग किमी है। भोपाल और सीहोर जिलों की सीमा तक तालाब फैला है। सीहोर से आने वाली कोलांस-उलझावन नदी तालाब के जलस्तर को बढ़ाती है।
करीब 60 नालों का पानी ये नदियां बड़े तालाब में डालती हैं। एक अध्ययन के मुताबिक इसके फुलटैंक लेवल का 11 फीसदी क्षेत्र अतिक्रमण का शिकार है। प्रशासन को बड़ी कार्रवाई की जरूरत है।
अतिक्रमण: किनारों पर होटल और बंगले
लेक व्यू के लालच में यहां होटल्स, चौपाटी, बंगले बनाए जा रहे हैं। भदभदा बांध के गेट खोलने पर पानी कलियासोत से पार्वती नदी में जाता है। इससे हजारों किसानों को खेती के लिए पानी मिलता है।
32 वर्ग किलोमीटर के दायरे वाले बड़े तालाब को चारों ओर से सिकोडऩे की कोशिश हो रही है।
40 फीसदी शहर की जलापूर्ति करने वाले इस तालाब को लेक व्यू का लालच लील रहा है।
15 से अधिक मैरिज गार्डन लालघाटी से बैरागढ़ तक तालाब के भीतर अतिक्रमण कर तन गए हैं।
04 हजार झुग्गियां तालाब किनारे हैं। लगातार इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।