– खाली जेब निकले घर से
चंद्रकांत ने बताया कि वे इस साइकिल यात्रा पर खाली जेब निकले हैं। वे कई शहरों और कस्बों में लोगों से मिले। खाना भी लोगों से मांगकर खाते हैं। कई बार लोग उन्हें अपने घर ठहरने की सुविधा दे देते हैं। ऐसा न हो तो वे मंदिर या गुरुद्वारे में भी रह जाते हैं। ऐसे में वे खाना भी यहीं खा लेते हैं। लोगों से मांगकर खाने का मकसद यह है कि जो लोग मदद कर रहे हैं, उन्हें साइकिल यात्रा का संदेश अच्छे से याद रहे। वे महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों का विरोध करें। चंद्रकांत गुरुवार को हरदा से होशंगाबाद होते हुए भोपाल पहुंचे। चंद्रकांत ने बताया कि उन्होंने 12वीं की पढ़ाई पूरी की है। अब अगस्त में उनका कॉलेज शुरू होगा। इससे पहले वे यह यात्रा पूरी कर लेंगे।