जानकारों की मानें तो दूसरा डोज पूरा होने की धीमी रफ्तार के पीछे दो बड़ी वजह हैं। एक तो ये कि प्रशासन की तरफ से लगाए जाने वाले कैंप अब काफी कम हो चुके हैं। दूसरा ये कि लोग खुद भी जागरुक नहीं रहे। पहले कोरोना कंटोल रूम से रोजाना पांच हजार लोगों को दूसरा डोज पूरा कराने के लिए फोन जाते थे, लेकिन अब वे बंद हो गए हैं, क्योंकि पूरी टीम होम आइसोलेशन में लगी है। इधर लोगों ने भी देखा कि तीसरी लहर में कोरोना ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा रहा तो वे खुद भी लापरवाह हो गए। लेकिन जिन लोगों ने दूसरा डोज कम्पलीट नहीं किया, वह डोज पूरा जरूर कर लें। क्योंकि सुरक्षा वैक्सीन से ही मिली है।
बूस्टर डोज के लिए बूस्ट भी नहीं कर रहे
इधर फ्रंट लाइन वर्कर और 60 साल सवे ऊपर के लोगों को तीसरे डोज की रफ्तार भी लगभग थम सी गई है। बूस्टर डोज के लिए बूस्ट करना ही छोड़ दिया है। इसी का परिणाम है कि अभी तक दस फीसदी से थोड़े ज्यादा लोगों को तीसरा डोज लगा है। जिसकी संख्या 39 हजार 171 है। जबकि तीन लाख लोग बूस्टर डोज लगवाने की पात्रता रखते हैं।
22 जनवरी की स्थिति में वैक्सीनेशन
पहला डोज लगा–2268173
दूसरा डोज लगा–1943261
तीसरा डोज लगा–39171
बच्चों को लगी डोज–132855
युवाओं के दम पर वैक्सीनेशन
जिले में 18 से 44 वर्ष बीच के युवाओं के दम पर ही वैक्सीनेशन का आंकड़ा काफी बढ़ा है। इस एज ग्रुप के 27 लाख 79 हजार 766 लोगों को पहली और दूसरी वैक्सीन लग चुकी है। जो कुल वैक्सीनेशन का लगभग 60 फीसदी बैठ रहा है।