
अब तक डेढ़ हजार पौधे कर चुकी हूं तैयार
अल्पना झा ने बताया कि 2015 में मैंने टायर को काटकर उसमें पौधे लगाना शुरू किए। घर की खूबसूरती बढ़ी तो ख्याल आया कि क्यों ना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्लास्टिक का उपयोग गमले बनाने में किया जाए। अब तक करीब 1500 पौधे लगा चुकी हूं। मुझे देखकर अन्य लोग भी पौधरोपण करने लगे। मैं स्कूल-कॉलेज में जाकर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक भी करती हूं। अब मैं लोगों के लिए पौधे तैयार करती हूं ताकि वे भी शहर की हरियाली को बढ़ाएं।

तीन साल में रंग लाने लगी मुहिम
ड्रीम भोपाल ग्रीन भोपाल के फाउंडर स्पर्श द्विवेदी ने बताया कि मैं एक इश्योरेंस कंपनी में जॉब करता हूं। पिछले कुछ सालों से शहर का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। भोपाल का ग्रीन कवर 22 प्रतिशत से घटकर 9 प्रतिशत हो गया है। 2019 में दोस्तों ने मिलकर एक मुहिम शुरू की और ड्रीम भोपाल ग्रीन भोपाल नाम से फेसबुक पेज बनाया। आज इस पेज से करीब 5 हजार लोग जुड़े हैं। अब तक ग्रुप करीब 15 हजार पौधे लगा चुका है। हमने एयरपोर्ट रोड पर करीब छह हजार और गांधी नगर के पास करीब ढाई हजार पौधे लगाकर यहां मिनी फॉरेस्ट डेवलप किया। कोविड ने सभी को सबक दिया है कि हम प्रकृति को उपेक्षित नहीं कर सकते और जितना हम प्रकृति से जुड़े रहेंगे उतना आपदाओं से बचेंगे। हमने अपनी मुहिम से नगर निगम, आर्मी, बीएसएफ और एसएसबी को भी जोड़ा ताकि इन पौधों की देखभाल हो सके।

450 प्रजातियों के 4 हजार पौधे रौपे
प्रो. साक्षी भारद्वाज ने बताया कि मैंने अपने गार्डन में 450 तरह की प्रजातियों के प्लांट्स, 150 तरह के एग्जॉटिक पौधे 4000 से ज्यादा गमलों में लगाएं हैं। पहले घर के बाहर दलदली जमीन थी। पौधे लगाने के बाद जमीन भी अच्छी हो गई। कुछ ऐसे रेयर प्लांट्स हैं जो घर में रखने पर काफी ऑक्सीजन जेनरेट करते हैं। जैसे पीस लिली और मनी प्लांट्स, यह सभी हाई ऑक्सीजन जनरेटिंग प्लांट्स हैं। अब समय आ गया है जब हम पर्यावरण को सहेज कर रखें और जितना हो सकता है उतने पौधे लगाएं। साथ ही लोगों को भी जागरूक करें। पौधे तैयार करने के लिए मैं नारीयल के खाली शैल का इस्तेमाल करती हूं। साथ ही प्लास्टिक बोतल में भी पौधे तैयार करती हूं।