जानकारी के अनुसार बीकानेर से बिलासपुर के बीच चलने वाली गाड़ी संख्या 18246 बीकानेर बिलासुपर एक्सप्रेस के एसी-3 टियर के बी-1 कोच की 18 नंबर सीट पर सफर कर रही थी। सीहोर के पास महिला की अचानक तबियत बिगड़ी, जिसकी कम्प्लेंट उन्होंने रेलवे टीटी को की। रात लगभग 10 बजे ट्रेन भोपाल स्टेशन पर पहुंची। ट्रेन के रुकते ही तीन युवक ट्रेन के बी-1 कोच में चढ़े। उनके हाथ में कुछ दवाएं और एक पाउडर का पैकेट था। युवकों ने यह दवा और पाउडर महिला यात्री के सामने बढ़ाते हुए खुद को रेलवे द्वारा भेजे जाने की बात कही।
बुखार के साथ शुगर और बीपी की मरीज होने से महिला यात्री ने बिना जांच दवा लेने से मना कर दिया। उन्होंने पहले जांच की बात कही, लेकिन युवकों के पास जांच के लिए स्टेथोस्कोप तक नही था। इस पर जब उनका कार्ड और पहचान पूछी गई तो युवकों ने खुद को निजी कर्मचारी बताया।
खाली हाथ पहुंचे डॉक्टर, कहा हमारे पास नही है ग्लूको मीटर और न ही स्टेथेस्कोप–
महिला यात्री और युवकों के बीच काफी देर जिरह के बाद ट्रेन में रेलवे हॉस्टिपल से एक डॉक्टर खाली हाथ पहुंचे। महिला ने जब उनसे शुगर की जांच और बीपी मापने की बात कही तो डॉक्टर ने कहा कि उनके पास न तो ग्लूको मीटर है और न ही स्टेथेस्कोप। डॉक्टर ने कहा अगर ज्यादा तबियत खराब है तो नीचे उतर जाइए। भर्ती करा देंगे।
डीआरएम भोपाल रेल मंडल शोभन चौधुरी ने कहा कि ये बात सही है मंगलवार को महिला यात्री की तबियत बिगडऩे की शिकायत के बाद डॉक्टर नही पहुंचे थे। मैं मामले की पूरी छानबीन करा रहा हूं। जो भी दोषी होगा उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।