अब घर बैठे आर्टिजन बेच रहे उत्पाद
कोरोना संकट काल में हमें लगा कि इन लोगों को राशन किट वितरण या सहयोग राशि देना कोई स्थाई समाधान नहीं है। दस्तकारों को बचाने के लिए हमें हर हाल में आर्टिजन और कस्टमर को पुन: जोडऩा होगा और लोक कलाकारों को फिर से उनके दर्शकों से जोडऩा होगा। इसको लेकर हमने वर्चुअल एग्जीबिशन शुरू किए। बीते वर्ष जुलाई में ईपीसीएस द्वारा आयोजित आइएचजीएफ फैशन शो में वर्चुअली भाग लिया। सिंगापुर के नमस्ते भारत कार्यक्रम और भारतीय दूतावास, न्यूयॉर्क के सहयोग से वल्र्ड ट्रेड सेंटर वाशिंगटन के साथ विन इंटरनेशनल में एक साल के लिए हमारे गांव की महिलाओं के हस्तनिर्मित प्रोडक्ट प्रदर्शित किए जा रहे हैं। ऐसे ही कई वर्चुअल कार्यक्रम रहे हैं जहां आर्टिजन वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर अपने प्रोडक्ट देश-दुनिया के कस्टमर के सामने प्रदर्शित करके उन्हें बेच रहे हैं।
मिलकर बनाई अपनी वेबसाइट
आर्टिजन अनपढ़ या कम पढ़े लिखे हैं और उन्हें डिजिटल साक्षरता का कोई ज्ञान नहीं है। इसलिए हम आर्टिजन को स्मार्टफोन वितरित कर रहे हैं और उन्हें बता रहे हैं कि वह अपने फोन का इस्तेमाल करके कैसे ई-कॉमर्स के जरिए अलग-अलग प्लेटफार्म पर अपने हैंड मेड प्रोडक्ट आसानी से बेच सकते हैं। पहले तो बड़े ब्रांड या कंपनी ही ई-कॉमर्स के जरिए अपने प्रोडक्ट बेचते थे। हमारे आर्टिजन ने मिलकर ई-कॉमर्स वेबसाइट रूमा देवी डॉट कॉम लॉन्च की है जहां वे बिना बिचौलियों के सीधे कस्टमर से जुड़ रहे हैं।
इंटरनेट के जरिए जिंदा रखें हुनर को
इंटरनेट ने समानता का अवसर दिया है। इसके जरिए हम कुटीर उद्योग को बढ़ावा दे सकते हैं। कोई भी घर पर बैठकर उत्पाद ऑनलाइन सेल कर सकता है। लोक कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन सोशल मीडिया पर करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। आर्ट और क्राफ्ट को लंबे समय तक जिंदा रखने के लिए उसे रोजगार से जोडऩा ही होगा।