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महिलाओं ने हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का दिया संदेश

locationभोपालPublished: Nov 29, 2018 08:55:39 pm

Submitted by:

Rohit verma

देशव्यापी अभियान में देश के अलग-अलग हिस्सों से निकाली बातें अमन की यात्रा

bate aman ki yatra

महिलाओं ने हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का दिया संदेश

भोपाल से रोहित वर्मा की रिपोर्ट. देश में लगातार बढ़ रही हिंसा के खिलाफ महिलाओं ने देश भर में यात्रा निकाल कर लोगों एक जुट होकर हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का संदेश दिया। यात्रा को नाम दिया गया बातें अमन की। इसके तहत देश भर के अलग-अलग हिस्सों से महिलाओं का जत्था पूरे देश में भ्रमण कर लोागों को जागरूक किया।

देश भर में निकलने वाली इस यात्रा में 100 से ज्यादा महिलाएं 5 अलग अलग जत्थों में शामिल हुईं। इसके तहत विभिन्न राज्यों के दो सौ से ज्यादा शहरों में पांच सौ से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित किए गए। जत्थों की महिलाओं ने संवाद, गीत, नाटक आदि के जरिए लोगों तक अमन, शांति का संदेश पहुंचाने की कोशिश की।

यात्रा का शुभारंभ 20 सितंबर को कश्मीर, असम, तमिलनाडू, कन्याकुमारी और दिल्ली से एक साथ किया गया। देश के अलग-अलग हिस्सों में भ्रमण करने के बाद सभी जत्थों की महिलाएं 13 अक्टूबर को दिल्ली पहुंची, जहां यात्रा का समापन किया गया।

 

तंगधार शहर से शुरू हुई यात्रा

कश्मीर में भारत-पाक सीमा पर स्थित तंगधार शहर से शुरू हुई यात्रा में भोपाल की सामाजिक कार्यकर्ता कुमुद सिंह भी शामिल रहीं। यात्रा का अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि यात्रा का मुख्य उद्देश्य लोगों में भाई-चारा लाने के साथ ही हिंसा के खिलाफ लोगों को जागरूक करना था। जत्थे में शामिल महिलाओं ने लोगों से अपील की कि वे हर प्रकार की हिंसा के विरुद्ध एकजुट होकर आवाज़ उठाएं।

वह चाहे महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा हो या फिर भीड़ द्वारा धर्म के नाम पर की जाने वाली हिंसा। इसके साथ ही जत्थों की महिलाओं ने लोगों को संविधान का सम्मान करते की बात कही। इस यात्रा की विशेषता यह थी कि देश में पहली बार केवल महिलाओं ने इस तरह की यात्रा निकाली।

 

टॉस वुमन अनुश्री भी यात्रा में रहीं शामिल
कुमुद सिंह ने बताया कि इस यात्रा में हमारे साथ एक ट्रांस वुमन अनुश्री शामिल रहीं। अनुश्री सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और यदि अदालत में वे अपना केस जीत जाएंगी तो वे देश की पहली ट्रांस वुमन आइएएस अधिकारी होंगी। इस यात्रा में एक और साथी राधा थीं, जिनका जीवन फुटपाथ पर यतीमों की तरह बीता है, अब वो खुद बेघर बच्चों और महिलाओं के लिए एक शेल्टर होम चला रही हैं।

उन्होंने बताया कि मैं उस जत्थे में शामिल थी, जो कश्मीर से शूरू हुआ था। हमने अपनी यात्रा भारत पाक सीमा पर स्थित तंगधार शहर से शूरू की। तंगधार में हम वहां के स्थानीय लोगों के घर में रुके। हमारे घरों के लोग डरे हुए थे और वे बार-बार फ़ोन पर जानकारी ले रहे थे कि वहां के हालात कैसे हैं। लेकिन हमें वहां किसी तरह का डर नहीं था।

बेहद प्यार से उन लोगों ने हमारा दिल जीत लिया। अगले पड़ाव पर बारामूला में हम शेख मुख्तार के घर पर रुके। मुख्तार के सारे चाचा लोग सिख हैं और सब बहुत प्यार से रहते हैं।

 

लोगों ने साझा की समस्याएं

विभिन्न कार्यक्रमों में लोगों ने हमसे अपने दुख, समस्याएं साझा की और कहा कि लोग सारे कश्मीरियों को आतंकवादी समझते हैं, यह हमारा सबसे बड़ा दुख है। वहां एक चाय वाले को जब यह पता चला कि हम अमन शांति की बात करने निकले हैं तो उसने चाय के पैसे लेने से इंकार कर दिया।

हमारी यात्रा म कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब से होते हुए दिल्ली पहुंची। हरियाणा की एक कॉलेज छात्रा ने बताया कि वो जब स्कूल में थी तब उसकी क्लास में 27 लड़कियां थीं, लेकिन उनमें से केवल तीन कॉलेज तक पहुंच पाई हैं।

एक स्कूल में कार्यक्रम के दौरान लगभग सभी छात्राओं ने यही कहा कि वे पढऩा चाहती हैं, लेकिन घर वाले नहीं चाहते। तंगधार में मैं एक शिक्षिका मीर नायला के घर रुकी। जहां नायला के शौहर ने हमारे लिए बहुत ही लज़ीज़ खाना बनाया। खाना उन्होंने इसलिए बनाया ताकि नायला अपना पूरा समय हमें दे सकें।

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