यह लगाया जा रहा पता
फीडबैक अपराध पंजीबद्ध होने के 48 घंटे के भीतर लिया जा रहा है। फीडबैक लेकर यह पता लगाया जा रहा कि पुलिस कार्रवाई से वह संतुष्ट है कि नहीं। दूसरा फीडबैक अपराध पंजीबद्ध होने के एक माह के भीतर और तीसरा फीडबैक चार्ज शीट दाखिल होते समय लेने का निर्णय लिया गया है।
दस सवालों के जरिए फीडबैक
पीडि़त से खासतौर पर यह पूछा जा रहा कि रिपोर्ट लिखाने के लिए उसे कितनी बार थाने में जाना पड़ा। थाने में पुलिस का व्यवहार कैसा रहा। एफआईआर की प्रति बिना पैसे दिए मिली या फिर पैसे देने पड़े। पुलिस की कार्रवाई से आप संतुष्ट हैं या नहीं समेत इस तरह के 10 सवाल पूछे जा रहे हैं।
पुलिस अधीक्षकों को निर्देश
बताया जाता है कि लगभग 200 पीडि़ताओं से फीडबैक लिया जा चुका है। इस दौरान जिन महिलाओं ने कार्रवाई से असंतुष्टि जताई उस क्षेत्र के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि संबंधित थाने के स्टाफ के व्यवहार में प्रशिक्षण के जरिए सुधार लाया जाए, ताकि वे दोबारा गलती नहीं करें और पुलिस की छवि में सुधार आए।