100 थानों में साइबर डेस्क शुरू करने की योजना
साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पहले चरण में प्रदेश के सौ थानों में महिला डेस्क की तर्ज पर साइबर डेस्क खोले जाने की योजना थी। यहां साइबर अपराधों के जानकर पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की बात कही गई थी। इसके अलावा 80 साइबर एक्सपट्र्स की नियुक्ति का भी प्लान था, जिन्हें सभी जिलों के साथ ही ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त समेत अन्य जांच एजेंसियों में नियुक्त किया जाता। रीवा, बालाघाट, सागर और चंबल क्षेत्र में नए जोनल ऑफिस खोलने की भी तैयारी थी। पांच वर्षीय वर्कप्लान में डायल-100 की तर्ज पर क्विक रिस्पॉन्स टीम और पोर्टल शुरू किया जाना था।
कई प्रस्तावों पर अटका मामला
राज्य साइबर सेल द्वारा तैयार किए गए वर्कप्लान के कई प्रस्तावों पर पीएचक्यू की सहमति नहीं मिल सकी है। इनमें साइबर एक्सपट्र्स की नियुक्ति प्रमुख है। यहां बता दें, निजी साइबर एक्सपट्र्स को संविदा आधार पर नियुक्ति दिए जाने का प्रस्ताव है। इसके एवज में तकरीबन 80 हजार रुपए का वेतन दिया जाना है। साथ ही वर्कप्लान को लागू करने में खर्च होने वाली राशि भी देरी की मुख्य वजहों में से एक है।
साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पहले चरण में प्रदेश के सौ थानों में महिला डेस्क की तर्ज पर साइबर डेस्क खोले जाने की योजना थी। यहां साइबर अपराधों के जानकर पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की बात कही गई थी। इसके अलावा 80 साइबर एक्सपट्र्स की नियुक्ति का भी प्लान था, जिन्हें सभी जिलों के साथ ही ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त समेत अन्य जांच एजेंसियों में नियुक्त किया जाता। रीवा, बालाघाट, सागर और चंबल क्षेत्र में नए जोनल ऑफिस खोलने की भी तैयारी थी। पांच वर्षीय वर्कप्लान में डायल-100 की तर्ज पर क्विक रिस्पॉन्स टीम और पोर्टल शुरू किया जाना था।
कई प्रस्तावों पर अटका मामला
राज्य साइबर सेल द्वारा तैयार किए गए वर्कप्लान के कई प्रस्तावों पर पीएचक्यू की सहमति नहीं मिल सकी है। इनमें साइबर एक्सपट्र्स की नियुक्ति प्रमुख है। यहां बता दें, निजी साइबर एक्सपट्र्स को संविदा आधार पर नियुक्ति दिए जाने का प्रस्ताव है। इसके एवज में तकरीबन 80 हजार रुपए का वेतन दिया जाना है। साथ ही वर्कप्लान को लागू करने में खर्च होने वाली राशि भी देरी की मुख्य वजहों में से एक है।