अजय दुबे – आरटीआइ एक्टिविस्ट अजय विधानसभा चुनाव के कुछ समय पूर्व ही कांग्रेस से जुड़े थे। उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता नहीं ली, लेकिन प्रदेश कांग्रेस के आइटी विभाग की कमान संभाली थी। विधानसभा चुनाव में तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस के साथ मिलकर खूब लड़े। जब सरकार बनी तो पटरी नहीं बैठी। मुख्यमंत्री कमलनाथ के कई फैसलों का विरोध किया। फिर इस्तीफा दे दिया। अब कांग्रेस के कई कदमों का विरोध करते हैं।
– एक विधायक को रोका
कांग्रेस ने इस दौरान अपने एक विधायक को पार्टी छोडऩे से रोका भी है। धरमपुरी से विधायक पांचीलाल मेढ़ा ने कमलनाथ को अपना इस्तीफा भेज दिया था। मेढ़ा क्षेत्र में पुलिस अफसरों से नाराज थे। बाद में गृहमंत्री बाला बच्चन के मनाने और सीएम कमलनाथ के आश्वासन पर मेढ़ा मान गए थे।
– जाने वाले कम, आने वालों की फौज
सत्ता में 15 साल बाद आने का असर ऐसा रहा कि कांग्रेस में आने वालों की कमी नहीं रही। विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा छोड़कर प्रमिला सिंह आईं तो कांग्रेस ने उन्हें शहडोल प्रत्याशी बनाया। इनके अलावा भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष रहे धीरज पटेरिया, पूर्व विधायक चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी, पूर्व विधायक निशिथ पटेल, जितेंद्र डागा, पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया, पूर्व विधायक भैया साहब लोधी सहित दर्जनों नेताओं ने कांग्रेस का दामन थामा। भाजपा के अलावा बसपा, सपा और गोंगपा छोड़कर कांग्रेस में आने वाले भी कई नेता रहे।
– वजह क्या?
कांग्रेस से जाने वालों की संख्या कम और आने वालों की संख्या ज्यादा रहने के दो प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। पहला कारण प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनना रहा। कोई भी सत्ता का साथ नहीं छोडऩा चाहता था, इसलिए नाराजगी के बावजूद कम लोग कांग्रेस से टूटे। वहीं, भाजपा में अनदेखी के कारण नेता नाराज होकर सत्ता का साथ पाने आ गए। दूसरा बड़ा कारण कमलनाथ और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का प्रबंधन रहा। कमलनाथ ने ज्यादा नाराजगी वाले नेताओं को मना लिया। दिग्विजय भी रूठों को थामने में आगे रहे। भाजपा में यह प्रबंधन इस बार लगभग फेल रहा।
कांग्रेस अपने हर कार्यकर्ता का ध्यान रखती है। पार्टी में कभी थोड़ी-बहुत नाराजगी होती है तो भी मना लिया जाता है। कुछ मामलों में जरूर ऐसा नहीं हो पाता, इसलिए हर व्यक्ति का अपना निर्णय होता है।
– चंद्रप्रभाष शेखर, संगठन प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस