भोपाल

वर्किंग वुमंस का शेड्यूल चेंज, घर-ऑफिस को एक साथ संभालने का मिला चैलेंज

वर्क फ्रॉम होम ने बनाया वुमन्स को मल्टी टास्किंग
 

भोपालApr 04, 2020 / 11:14 pm

hitesh sharma

वर्किंग वुमंस का शेड्यूल चेंज, घर-ऑफिस को एक साथ संभालने का मिला चैलेंज

भोपाल। लॉकडाउन के दौरान स्कूल-कॉलेज से लेकर ऑफिस तक बंद हो चुके हैं। स्टूडेंट्स की स्टडी के नुकसान की भरपाई करने ऑनलाइन क्लासेस चल रही है। ऐसे में टीचर्स घर से ये जिम्मेदारी संभाल रही हैं। वर्क फ्रॉम होम होने के साथ ही वर्किंग वुमंस का शेड्यूल भी बदल गया है। अब उन्हें ऑफिस के साथ घर की जिम्मेदारियां भी संभालना पड़ रही है। ये खुद को मल्टी टास्किंग बनाते हुए काम को शिफ्ट में डिवाइड कर हर जिम्मेदारी को बखूभी निभा रही हैं। वहीं, वुमंस ने घर को ही ऑफिस बना लिया है।

रात-2 बजे तक चलता है वर्क
मैं एलएनसीटी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ आर्किटेक्ट में प्रिंसिपल हूं। सुबह-7.30 बजे से घर का काम शुरू हो जाता है। नोट्स को ऑनलाइन अपलोड करती हूं, ताकि स्टडूेंट्स को पढ़ाई में कोई परेशानी न हो। रात को फैमिली के सोने के बाद अगले दिन के लिए नोट्स तैयार करती हूं। पहले जहां रात-11 बजे सो जाती थी। अब रात-2 बजे तक काम कर रही हूं।
डॉ. शीतल शर्मा, वर्किंग वुमन

बेटी को पढ़ाने के साथ कॉलेज की जिम्मेदारी
मैं संत हिरदाराम इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर हूं। घर की जिम्मेदारियां संभालने के बाद सुबह-11 बजे से ऑनलाइन क्लासेस शुरू हो जाती है। स्टूडेंट्स को हर दिन अलग-अलग चैप्टर की पीपीटी तैयार कर भेजना होती है। बुक्स से रिलेटेड जानकारी भी उन्हें फोन पर ही दी जाती है। शाम को बेटी को पढ़ाने की जिम्मेदारी भी संभालती हूं।

सपना भगतानी, वर्किंग वुमन

वर्किंग वुमंस का शेड्यूल चेंज, घर-ऑफिस को एक साथ संभालने का मिला चैलेंज

हर जिम्मेदारी को पूरा कर रही हूं
मैं एक निजी कॉलेज में डिजाइन और आर्किटेक्ट पढ़ाती हूं। सुबह-9.30 बजे से ऑनलाइन स्टडी शुरू हो जाती है। शाम-5 बजे तक ऑफिस वर्क चलता है। स्टडूटेंस को यदि स्टडी में कोई प्रॉब्लम आती है तो उसे फोन पर सॉल्व करना होता है। दोपहर में घर का लंच भी तैयार करती हूं। 10 साल के बेटे को स्कूल से मिला होमवर्क कराती हूं। मेरे साथ मेरे पैरेन्ट्स भी रहते हैं। लॉकडाउन ने मुझे मल्टी टास्किंग बना दिया है।

नूपुर तिवारी, वर्किंग वुमन

वर्किंग वुमंस का शेड्यूल चेंज, घर-ऑफिस को एक साथ संभालने का मिला चैलेंज

तीन शिफ्टों में बांटा काम
मैं पेशे से आर्किटेक्ट और इंटीरियर डिजाइनर हूं। अभी स्टाफ छुट्टी पर है तो जिम्मेदारियां बढ़ गई है। अभी भेल के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही हूं। सुबह-8 बजे से घर के काम करने के बाद दोपहर-1 बजे से प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू करती हूं। स्टाफ और क्लाइंट्स से भी ऑनलाइन कनेक्ट रहती हूं। शाम को घर के काम करने के बाद स्टाफ के भेजे हुए डिजाइन्स को फाइनलाइज करती हूं। शाम को बच्चों को स्टडी कराती हूं।

नूपुर शर्मा, वर्किंग वुमन

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