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ड्रामा और मेलोड्रामा भारतीय सिनेमा की कमजोरी नहीं, विशिष्ट पहचान है

locationभोपालPublished: Oct 17, 2019 01:57:13 am

फिल्म एप्रिसिएशन वर्कशॉप में तनुजा चतुर्वेदी ने कहा

ड्रामा और मेलोड्रामा भारतीय सिनेमा की कमजोरी नहीं, विशिष्ट पहचान है

ड्रामा और मेलोड्रामा भारतीय सिनेमा की कमजोरी नहीं, विशिष्ट पहचान है

भोपाल. ड्रामा और मेलोड्रामा भारतीय सिनेमा की कमजोरी नहीं बल्कि खास पहचान है जिसकी वजह से ही हमारा सिनेमा दुनियाभर में जाना जाता है। ये बात फिल्मकार तनुजा चतुर्वेदी ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि में आयोजित फिल्म एप्रिसिएशन वर्कशॉप में कही। तीसरे दिन बुधवार को उन्होंने भारतीय सिनेमा को समर्पित किया तथा महत्वपूर्ण फिल्मकारों की फिल्में और उनके स्टाइल पर विस्तार से बात की। उन्होंने बिमल रॉय, नितिन बोस, राज कपूर, सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, गुरुदत्त, विजय आनन्द की फिल्मों के अंश दिखाते हुए बात की। इसके अलावा उन्होंने भारतीय सिनेमा की खास पहचान गाने और सांग पिक्चराईजेशन पर गहन चर्चा की।
फिल्मों की क्लिपिंग्स दिखाई
तनुजा ने अपने तीन दिवसीय विस्तृत सत्र में पहले दिन सिनेमा का इतिहास, उद्गम, कंपोनेंट्स, फिल्म लैंग्वेज और ग्रामर पर प्रतिभागियों को संबोधित किया और महत्वपूर्ण फिल्मों की क्लिपिंग्स दिखाई। उन्होंने बर्थ ऑफ नेशन, बैटलशिप पोटेम्किन सहित कई फिल्मों की सीन दिखाते हुए समझाया कि किस तरह सिनेमा की भाषा और व्याकरण विकसित होता गया। फिल्म में प्रयुक्त ट्रांजीशन, कट और क्लोज अप और शॉट टेकिंग की तरीकों से किस तरह ये निदेशक का माध्यम होता गया।
कहानी, संवाद एवं शॉट की महत्वपूर्ण जानकारी दी
स्टार प्लस, सोनी और जीटीवी जैसे नामी चैनल्स के कई धारावाहिकों के लिए स्क्रीन प्ले लिख चुकी तनुजा ने वर्कशॉप में गानों एवं फिल्मों की बारीकियों को विशेष रूप से बताया। उन्होंने पुरानी फिल्मों की खूबी, स्क्रीन प्ले एवं गानों पर प्रतिभागियों के साथ चर्चा की। फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे से फिल्म वं स्क्रीन प्ले की बारीकियां सीख चुकीं तनुजा ने कहा कि फिल्मकार समाज में घट रही चीजों को देखता है एवं इसे स्क्रीन के माध्यम से सामने दिखाता है। उन्होंने प्रतिभागियों को अच्छी कहानी, संवाद एवं शॉट के बार में महत्वपूर्ण जानकारी भी दी। जनसंचार विभाग के अध्यक्ष एवं कार्यशाला के संयोजक डॉ. संजीव गुप्ता ने कार्यशाला में चौथे दिन की जानकारी देते हुए बताया कि गुरुवार को फिल्म समीक्षक डॉ. अनिल चौबे, लेखक एवं निर्माता अनवर जमाल एवं संस्कृतिकर्मी उदयन वाजपेयी प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करेंगे।

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