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भोपाल में दुनिया का पहला डिजिटल प्रेस क्लब, डिजिटल मीडिया और बदलता मध्य प्रदेश पर हुआ मंथन

दुनिया का पहला डिजिटल प्रेस क्लब भोपाल में – पंकज पचौरीइंटरनेट को भारत सरकार मौलिक अधिकार बनाये : पत्रकार पचौरीपंकज पचौरी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के रहे हैं मीडिया सलाहकार
जनसम्पर्क मंत्री शर्मा, आयुक्त नरहरि, वरिष्ठ पत्रकार अमृता राय और पाणिनि आनंद ने रखे विचार

भोपालOct 22, 2019 / 07:35 pm

Muneshwar Kumar

भोपाल/ डिजिटल प्रेस क्लब एवं पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने भोपाल में डिजिटल मीडिया और बदलता मध्य प्रदेश विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमें वरिष्ठ पत्रकारों और अतिथियों ने प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी शामिल हुए।

मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के आयुक्त पी नरहरि ने कहा कि देश में तकनीक के विकास के साथ डिजिटल मीडिया का प्रभाव बढ़ा है। आज 10 फीसदी लोग सोशल मीडिया और डिजिटल पर निर्भर हैं। इसमें से 30 फीसदी लोग न्यूज़ और एंटरटेनमेंट के लिए डिजिटल पर निर्भर हो चुके हैं। नए यूजर्स पर न्यूज़ अग्रिगरेटर्स का काफी प्रभाव है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को इस दौर में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना होगा। सरकार ने भी अब सोशल मीडिया डिपार्टमेंट शुरू कर दिया है। डिजिटल मीडिया में आज वीडियो कंटेंट सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। बेहतर कंटेंट के साथ उनके लिए रीच भी जरूरी है। सोशल मीडिया के जरिए फोक और छिपी हुई चीजें ज्यादा सामने आ रही हैं और उन्हें पसंद भी किया जा रहा है।
जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि प्रेस क्लब इस परिचर्चा का निचोड़ सरकार को दे ताकि इस पर काम किया जा सके। वेबसाइट के लिए विज्ञापन बंद हुए थे, लेकिन अब इसका प्रस्ताव हमने मुख्यमंत्री को भेज दिया है और जल्द इन्हें वेब के लिए शुरू कर दिया जाएगा। पत्रकारों की सम्मान निधि बढ़ाने के साथ पत्रकार प्रोटेक्शन एक्ट को मजबूती दी जाएगी। सरकार वचन पत्र में पत्रकारों के लिए सभी वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

दिग्विजय सिंह ने फेक न्यूज़ पर जताई चिंता। उन्होंने कहा कि आज यहां भाजपा के नेताओं को मौजूद होना चाहिए था। सोशल मीडिया के जरिए ही मॉब लिंचिंग की घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है।

वरिष्ठ पत्रकार पाणिनि आनंद ने कहा कि देश की मीडिया में जो सर्वोत्तम है वो जीवित रहेगा। डिजिटल ने पत्रकारिता के पांडित्य से लोगों को बाहर निकाला है। ये कहना गलत है कि डिजिटल में संक्रमण आ गया है। मंडल और कमंडल के दौर में अपने अखबारों और चैनलों का कंटेंट देखा होगा। वो भी संक्रमित थे। डिजिटल ने ज्यादा आलोचनात्मक रूप से विषयों को उठाया है। स्वतंत्र मीडिया साइट्स पर ज्यादा गंभीर कंटेंट आपको मिलेगा। दुनियाभर में डिजिटल को कन्ट्रोल करने का एकाधिकार है। सोशल मीडिया का कंट्रोल सत्ता के पास नहीं जाना चाहिए। इसका नियंत्रण कुछ विषय विशेषज्ञों को दिया जाए। आने वाले सालों में दुनिया की सबसे बड़ी पूंजी डेटा होगा। मौजूद और पुरानी सरकारों ने उदासीन रवैया दिखाया। आज विरोध में आवाज उठाने पर खतरा है। हम सब बिना वेतन के गूगल और ट्विटर के नौकर हैं। मोबाइल में सब एग्री करने से गूगल को डेटा मिल रहा है। हम डिजिटल दुनिया के अवैतनिक श्रमिक बन कर रह गए हैं।
वरिष्ठ पत्रकार अमृता राय ने कहा कि सूचना की सत्यता परखने के लिए हमें कई अखबार पढ़ने की जरूरत है। अखबार सूचनाओं का गेटवे बन गया था। लेकिन सोशल मीडिया ने आकर गेटवे तोड़ दिया। यहां कोई भी सूचनाएं शेयर कर सकता है। ऐप्स के जरिए हम एक डेटा पॉइंट में तब्दील हो रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए सूचनाओं के कंट्रोल को तोड़ा गया था, लेकिन आज ये खुद अपने डेटा की सुरक्षा ले लिए लड़ रहा है। कंपनियों ने आपकी पसंद के अनुसार कंटेंट को नियंत्रित कर दिया है और कंपनियां आपको वही कंटेंट दिखा रही हैं जो आप देखते रहे हैं। अगर हम डिजिटली साक्षर नहीं हुए तो देश में आर्थिक मंदी होगी और सरकारें कहती रहेंगी कि फिल्में 120 करोड़ का काम रहीं हैं तो मंदी कहां हैं। डिजिटल प्रेस क्लब लोगों को साक्षर और अपग्रेड करें। मैं भी आपके साथ आने के लिए तैयार हूं।
वरिष्ठ पत्रकार पंकज पचौरी ने कहा कि फेक न्यूज डिजिटल के दौर का अंधकार है। देश में 110 करोड़ फोन हैं जिनमें 60 करोड़ स्मार्टफोन हैं। देश इन 25 करोड़ 60 लाख लोग मोबाइल इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। पेटीएम और वॉट्सएप्प अपने 35 करोड़ मोबाइल यूजर होने का दावा करते हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। यहां 12 हजार 500 करोड़ का सालाना ऐड कलेक्शन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इंटरनेट राजनीति का सबसे बड़ा दुश्मन बनने जा रहा है। भारत सरकार के कई एप्प अमेरिकन कंपनियों के प्लेटफॉर्म पर हैं, क्योंकि हमारे पास सर्वर नहीं हैं। इसलिए इसे रेगुलेट करना मुश्किल है। डेटा के बाजार में भारत सरकार कंपनियों को आमंत्रित कर रही हैं। उन्हें रेगुलाईजेशन से कोई मतलब नहीं हैं क्योंकि प्रोपेगेंडा के लिए उनके अपने हित हैं। फ़िनलैंड दुनिया का इकलौता देश है जिसने इंटरनेट को मौलिक अधिकारों में शामिल किया है। उनका देश फेक न्यूज़ से मुक्त हो चुका है। 1) भारत सरकार भी इंटरनेट को मौलिक अधिकार बनाए। 2) स्कूलों में इंटरनेट और फेक न्यूज़ के प्रति बच्चों को शिक्षित किया जाए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डिजिटल प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश भाटिया और आभार सचिव विनय द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम में पी एच डी चैम्बर आफ कामर्स एन्ड इन्डस्ट्री के प्रवीण आचार्य और सीनियर रेसिडेंट ऑफिसर अनिरुद्ध दुबे ने आगे और भी डिजीटल साक्षरता पर केंद्रित कार्यशाला करने का भरोसा दिया।
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