भोपाल के नेफ्रोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉ. विवेक गोटानी कहते हैं कि इस बीमारी के बारे में जागरुकता फैलाना सर्वाधिक जरूरी है। क्योंकि यह साइलेंट किलर है।
भोपाल। बदलती जीवन शैली, असंयमित खानपान, तनाव जैसे कारणों की वजह से पूरे देश में किडनी की समस्या से पीडि़त मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यही नहीं किडनी की बीमारियों की चपेट में अब युवा भी आ रहे हैं। शहर के नेफ्रोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉ. विवेक गोटानी कहते हैं कि इस बीमारी के बारे में जागरुकता फैलाना सर्वाधिक जरूरी है। क्योंकि यह बीमारी एक साइलेंट किलरÓ है और ज्यादातर मामलों में इसका पता तब चलता है जब किडनी 80 फीसदी खराब हो चुकी होती है।
जानकारी ही बचाव है…
– मधुमेह गुर्दे की स्थाई समस्या के मुख्य कारण हैं।
– युवाओं पर काम का तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, ऐसे में उनमें रक्तचाप जैसी परेशानी बढ़ रही है।
– किडनी की बीमारी भी इससे सीधे तौर पर जुड़ी हुई है। ऐसे में अब युवा और इस तरह घर के कामकाजी सदस्य भी लगातार इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।
– अक्सर कोई भी परेशानी आने पर लोग सामान्य चिकित्सकों के पास जाते हैं। जरूरत इस बात की है कि अगर इन चिकित्सकों को किडनी की बीमारी के कोई संकेत मिलें, तो मरीज को विशेषज्ञ के पास जाने की सलाह दें।
– पहले लोगों को निश्चित मात्रा में नमक का सेवन करने पर कोई नुकसान नहीं होता था, क्योंकि तब जीवनशैली ऐसी थी जिसमें शारीरिक श्रम अधिक करना पड़ता था, लेकिन अब ज्यादातर लोग एसी में बैठ कर अपना अधिक से अधिक काम कंप्यूटर के जरिए निपटाते हैं।
– शारीरिक श्रम नहीं करते। ऐसे में नमक का कम से कम सेवन करना चाहिए। लेकिन ज्यादातर लोगों को यह भी जानकारी नहीं होती। समय रहते समस्या का पता चलने पर यह कोशिश की जाती है कि किडनी को लंबे समय तक कैसे सक्रिय रखा जाए।
– खानपान में संयम बरतने और जीवनशैली को संतुलित बनाने की सलाह दी जाती है।
– किडनी की समस्या के बारे में जानकारी न होने से लोग इसे गंभीरता से भी नहीं लेते।
– देश में करीब नौ लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें डायलिसिस की जरूरत है। इनमें से केवल दो फीसदी लोगों को ही डायलिसिस की सुविधा मिल पाती है।
-भारत में किडनी खराब होने के कुल मामलों में से 36 फीसदी मामलों का कारण मधुमेह और करीब 15 फीसदी मामलों का कारण उच्च रक्तचाप होता है।
-ऐसे मरीजों के लिए डायलिसिस अनिवार्य हो जाता है।
– किडनी डायलिसिस भी बहुत ही कम मरीज कराते हैं। इस पर खर्च अधिक आता है। केवल एक डायलिसिस में ही 4000 हजार रुपए का खर्च आता है।
– जबकि किडनी के काम न करने की स्थिति में डायलिसिस अनिवार्य हो जाता है। छोटे शहरों में यह सुविधा उपलब्ध भी नहीं है।