माता-पिता से बच्चों मे बढ़ जाता है खतरा
पीजीआई के डॉ. राकेश कोचर बताते हैं कि कई शोध बताते हैं कि अगर माता-पिता को फैटी लिवर की दिक्कत है तो बच्चों में इस बीमारी का खतरा 4 से 7 गुना बढ़ जाता है। माता-पिता की बीमारी का असर बच्चों पर हो सकता है। अगर पैरेंट्स को मोटापा, डायबिटीज और दूसरी मेटाबॉलिक डिसीज हैं, तो बच्चों में नॉन ऐल्कॉहॉलिक फैटी लिवर डिसीज का खतरा रहता है।
गहरे रंग की यूरिन और थकान होना, उबकाई है खतरनाक लक्षण
वरिष्ठ गेस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. प्रणव रघुवंशी के मुताबिक अगर लिवर में ज्यादा संक्रमण नहीं फैला है तो यह ठीक हो जाएगा लेकिन इसके लिए अपनी लाइफस्टाइल को बदलना पड़ेगा। अगर पेट, पैरों, एडिय़ों में दर्द और अत्यधिक सूजन हो या त्वचा का हमेशा लालपन, खुजली होती रहे तो समझना चाहिए कि लिवर में कुछ गड़बड़ी हो रही है।
शुरुआत में लक्षण नहीं दिखते, जांच जरूरी
डॉ. प्रणव रघुवंशी बताते हैं कि खानपान की वजह से हर दूसरे या तीसरे घर में किसी न किसी व्यक्ति में यह बीमारी हो रही है। फैटी लिवर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि शुरू में इसके लक्षण नहीं दिखाई देते। जब 80 फीसदी लिवर डैमेज हो जाता है, तब जाकर पता चलता है। ऐसे में लोगों को रुटीन जांच करवाते रहना चाहिए। यदि कोई दिक्कत आती है तो लिवर स्पेशलिस्ट से जरूर दिखवाएं।
ऐसे रखें अपने लिवर का ध्यान
शराब से परहेज : शराब और सिगरेट का सेवन करना बिल्कुल छोड़ दें। ये लिवर का सबसे बड़े दुश्मन माने जाते हैं।
व्यायाम करें : मोटापा विभिन्न बीमारियों को आमंत्रण देने जैसा होता है। बेहतर फिटनेस से लिवर को खराब होने से बचाया जा सकता है।
जंक फूड से तौबा : पिज्जा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक जैसे जंकफूड के सेवन से लिवर को हानि हो सकती है। इनसे दूरी ही लिवर के लिए रामबाण है।
ग्रीन टी का सेवन : ग्रीन टी को डिटॉक्सीफायर या फिल्टर माना जाता है। इससे दिन की शुरुआत करें तो लिवर के लिए बेहद लाभकारी हो सकता है।