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लामबंद हुए प्रदेश के 185 संस्कृतिकर्मी, मॉब लिंचिंग पर PM को लिखा था पत्र

locationभोपालPublished: Oct 10, 2019 10:10:08 am

प्रदेश के संस्कृतिकर्मियों ने किया पत्र का समर्थन

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भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मॉबलिंचिंग की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ चिट्ठी लिखने वाले देश के 49 लेखकों-संस्कृतिकर्मियों के समर्थन में अब मध्यप्रदेश के 185 साहित्यकार-कलाकार और सामाजिक संगठन भी खड़े हो गए हैं। 24 जुलाई को पीएम को चिट्ठी लिखने के बाद बिहार के मुजफ्फरपुर में इन 49 लेखकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया था।

मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक-सामाजिक संगठनों और संस्कृतिकर्मियों ने मांग की है कि साहित्यकारों के खिलाफ जो मुकदमा दर्ज किया गया है उसे खारिज किया जाए एवं देश में मॉब लिंचिंग रोकने के लिए कड़े कानून बनाकर उसे गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखा जाए। प्रदेश के संस्कृतिकर्मियों का कहना है कि इस तरह मुकदमा दर्ज करना आम नागरिक के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। समर्थन करने वालों में एलएस हरदेनिया, शैलेंद्र शैली, बादल सरोज, डॉ. सुनीलम, माधुरी बेन, चितरूपा पालित, पूर्व मुख्य सचिव शरदचंद्र बेहार, राजेश जोशी, पूर्णचंद्र रथ, अनिल सदगोपाल आदि शामिल हैं।

लेखकों पर मुकदमा मौलिक अधिकारों के खिलाफ

एलएस हरदेनिया के अनुसार लेखकों और संस्कृतिकर्मियों पर मुकदमा संविधान के मौलिक अधिकार के अनुच्छेद 14, 15 (1), 19 (1) और 21 के खिलाफ है। इसके साथ यह कदम एक राष्ट्र विरोधी फासीवादी विचारधारा के दुराग्रह से भी ग्रसित है। इसलिए हमने 24 जुलाई को लिखे गए पत्र में जाहिर की गई चिंताओं से पूरी सहमति जताई है।
हम मानते हैं कि सवाल पूछने और सवाल खड़े करने के मौलिक अधिकार पर जिस तरह का खतरा खड़ा किया जा रहा है, वह लोकतांत्रिक और संवैधानिक समाज के लिए नुकसानदेह है। सांस्कृतिक समुदाय के हमारे 49 साथियों ने जिम्मेदार नागरिक होने की प्रेणादायक मिसाल पेश की है।

एक संवेदनशील नागरिक अपने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में अगर अपनी चिंताएं भी जाहिर नहीं कर सकता है, तो फिर हम समझ सकते हैं कि हम देश को किस रास्ते पर ले जा रहे हैं। हम सभी संगठन और नागरिक भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय का हिस्सा हैं और एक विवेक पसंद नागरिक होने के नाते इन हालात की कड़ी भर्त्सना करते हैं।

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