कॅरियर की शुरुआत
बात उस समय की है जब कॅरियर की शुरुआत हुई थी। इंडिगो एयरलाइंस में पायलट के रूप में दुबई की फ्लाइट मिली। सामान्य दिनों में तो कुछ खास फर्क समझ नहीं आया लेकिन रमजान के दौरान अनोखे वाक्ये सामने आते हैं। रात दो बजे की फ्लाइट थी। सेहरी का सामान साथ लिया और उड़ान भर दी।
दुबई पहुंचने तक करीब तीन घंटे गुजर चुके थे। दिल्ली के हिसाब से बात करें तो सेहरी का वक्त भी खत्म हो चुका था और फजिर की नमाज भी हो गई। लेकिन दुबई में अलग हालात मिले। जब वहां पहुंचे तो सेहरी का वक्त चल रहा था। ऐसे में एयरपोर्ट पर पहुंच सेहरी की। इसके बाद फजिर की नमाज अदा की। ऐसे में दो बार सेहरी का मौका मिला। पहली बार जब मेरे साथ ऐसा हुआ तो बहुत अनोखा लगा।
रमजान के दिनों में यह वाक्या हर उस पायलट के साथ गुजरता है जिसकी रात की दुबई की फ्लाइट होती है। अब तक कई बार ऐसा हो चुका है लेकिन पहली जब ये हालात बने तो वह मेरे लिए यादगार हो गया। बात उस समय की है जब कॅरियर की शुरुआत हुई थी। इंडिगो एयरलाइंस में पायलट के रूप में दुबई की फ्लाइट मिली। सामान्य दिनों में तो कुछ खास फर्क समझ नहीं आया लेकिन रमजान के दौरान अनोखे वाक्ये सामने आते हैं। रात दो बजे की फ्लाइट थी। सेहरी का सामान साथ लिया और उड़ान भर दी।