अलविदा 2020: कोरोना काल में संक्रमण से बचने लोगों ने किए कई जतन
कोरोना के संक्रमण के डर से लोग न सिर्फ घरों में कैद हुए बल्कि कई तरह के जतन भी लोगों कोरोना से खुद को बचाने के लिए किए...

भोपाल. साल 2020 की यादें कोरोना से भरी हुई हैं। कोरोना महामारी ने जिस तरह से साल 2020 में पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में लिया वो कभी न भूलने वाला अनुभव है। लॉकडाउन के दौरान लोगों का महीनों तक घरों में ही कैद रहना शायद पहली बार था। सारे काम अटक गए थे लेकिन कोरोना संक्रमण के डर से लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकले। कोरोना से खुद को बचाने के लिए लोगों ने तरह के जतन भी किए।

कोरोना से बचने किए कई जतन
कोरोना संक्रमण से खुद को बचाने के लिए घरों में बैठे लोग तरह तरह के जतन कर रहे थे। किसी भी तरह से खुद को कोरोना के संक्रमण से बचाए रखने के लिए लोगों ने नए नए तरीके ढूंढ लिए थे। खुद को कोरोना से बचाने लोगों ने किए कई जतन-
- कोरोना संक्रमण से बचने के लिए नियमित मास्क लगाया और सैनेटाइजर का नियमित इस्तेमाल किया।
- साबुन से बार-बार हाथ धोने की आदत लोगों को पड़ गई।
- लोग इम्युनिटी बढ़ाने के लिए गर्म पानी पीने लगे।
- व्यायाम और योग लोगों की दिनचर्या में नियमित रुप से शामिल हो गए।
- गलतफहमी का शिकार होकर कुछ लोगों ने चाय का सेवन ज्यादा बढ़ा दिया।
- इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए दवाईयों और आयुर्वेदिक काढ़े की तरफ लोगों ने रुख किया।
लॉकडाउन में घटा प्रदूषण, प्रकृति का दिखा असली रूप
एक तरफ लॉकडाउन के दौरान लोग घरों में कैद थे और रोजाना जाम होने वाली सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था। लोगों के घरों में रहने और दुकानें व बाजार बंद होने के साथ ही गाड़ियों के न चलने से वातावरण में भी काफी बदलाव नजर आया। जलवायु पहले से कई गुना ज्यादा शुद्ध होगी।

वायु प्रदूषण में आई रिकॉर्ड गिरावट- लॉकडाउन के दौरान गाड़ियां और कारखानों के बंद होने से वायु प्रदूषण में रिकॉर्ड गिरावट आई। आबो हवा स्वच्छ हो गई और कभी खतरनाक स्तर पर पहुंचा वायु प्रदूषण काफी कम हो गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण के मामले में हमेशा नंबर-1 पर आने वाले गाजियाबाद की हवा लॉकडाउन में शुद्ध हो गई। एक्यूआई अन्य वर्षों की तुलना में 5 गुना तक कम हो गई। दिल्ली में पीएम 2.5 में 30 फीसद की गिरावट आई है। अहमदाबाद और पुणे में इसमें 15 फीसद की कमी आई। नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स) प्रदूषण का स्तर, जो श्वसन स्थितियों के जोखिम को बढ़ा सकता है, भी कम हो गया है। एनओएक्स प्रदूषण मुख्य रूप से ज्यादा वाहनों के चलने से होता है। एनओएक्स प्रदूषण में पुणे में 43 फीसद, मुंबई में 38 फीसद और अहमदाबाद में 50 फीसद की कमी आई। इतना ही नहीं देश के 90 शहरों में प्रदूषण का स्तर 45 से 88 फीसदी तक कम हुआ।

जल प्रदूषण कम हुआ, निर्मल हुई गंगा सहित अन्य नदियां
लॉकडाउन के दौरान जल प्रदूषण भी काफी कम हुआ। पर्यावरणविदों के अनुसार 22 मार्च के बाद से मेरठ सहित वेस्ट यूपी से होकर गुजरने वाली गंगा समेत अन्य नदियों के प्रदूषण में कमी आई । प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने बताया था कि लॉकडाउन के दौरान ऋषिकेश के पास लक्षमणझूला साइट पर फीकल कॉलीफॉर्म (सीवर जनित तत्व) की मात्रा में 47 फीसद की कमी पाई गई। इसी तरह ऋषिकेश बैराज में फीकल कॉलीफार्म में 46 फीसदी, जबकि टोटल कॉलीफार्म में 26 फीसदी की कमी दर्ज की गई। हरिद्वार क्षेत्र तक, जहां प्रदूषण सर्वाधिक रहता था, वहां भी 17 से 34 फीसदी तक विभिन्न प्रदूषणकारी तत्व पानी में कम पाए गए। कुल मिलाकर चार स्थानों पर (देवप्रयाग, लक्ष्मणझूला, ऋषिकेश बैराज व हरकी पैड़ी) पानी एक ग्रेड पाया है। इसका मतलब यह है कि सिर्फ क्लोरीन मिलाकर इसे पी सकते हैं। वहीं बी ग्रेड पानी में स्नान संभव है। मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी का जल भी लॉकडाउन के दौरान काफी स्वच्छ हो गया था।
देखें वीडियो-
अब पाइए अपने शहर ( Bhopal News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज