सवाल: गर्ल्स को फ्री आत्मरक्षा की ट्रेनिंग देने की प्रेरणा कैसे मिली?
जवाब: गुरु को देखकर ही बच्चा सीखता है। अपने गुरु से मैंने सीखा। दूसरा, यह कि बेटियों की माता-पिता को हमेशा चिंता होती है। बेटी के घर से जाने से पहले ही उसके आने का समय घरवाले तय कर देते हैं। मुझे लगता है यदि लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर आएंगे तो माता-पिता थोड़ा तनाव मुक्त रहेंगे। बड़ी बात है कि इसमें ज्यादा कुछ नहीं लगता।
सवाल: जिस देश में क्रिकेट जैसे खेल की धूम हो, वहां कूडो खेल की तरफ आपका रुझान कैसे?
जवाब: स्कूल में एक पीरियड खेल का होता था। तब ये चर्चित खेल हमें बोरिंग लगते थे। मुझे बचपन से ही कुश्ती जैसे खेल पसंद थे। फिर मेरे कोच डॉ. एजाज खान ने मेरे हुनर को पहचाना। मुझे इस ओर ले आए। पहले मैंने कराते फिर ताइक्वांडो सीखा।
सवाल: खेल और पढ़ाई को एक साथ कैसे मैनेज करते हैं?
जवाब: खेल व पढ़ाई दोनों का प्रबंधन बड़ी चुनौती है। सिर्फ पढ़ने पर फोकस करते हैं तो खेल का नुकसान होता है। सिर्फ खेलते हैं तो पढ़ाई का नुकसान होता है। पढ़ना जरूरी है, इससे व्यक्तित्व का विकास होता है। मैं सुबह-शाम दो-दो घंटे ट्रेनिंग करता हूं। इस बीच के समय में पढ़ाई करता हूं। मेरी रुचि स्कूल से ही इतिहास व राजनीति में रही है।
– सोहेल खान, कुडो खिलाड़ी – पत्रिका की 40 अंडर 40 पावर लिस्ट में शामिल
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