scriptयुवाओं का न लेफ्टविंग हो न राइटविंग, केवल इंडिया विंग हो | Young people do not have lifting or writing, only the India wing | Patrika News

युवाओं का न लेफ्टविंग हो न राइटविंग, केवल इंडिया विंग हो

locationभोपालPublished: Aug 16, 2018 09:46:41 am

Submitted by:

hitesh sharma

यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव में फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री समाज और देश के विकास में युवाओं की भूमिका पर बोले

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युवाओं का न लेफ्टविंग हो न राइटविंग, केवल इंडिया विंग हो

भोपाल। आरजीपीवी के सभागार में आयोजित किए जा रहे यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव के दूसरे दिन विभिन्न पैनल डिस्कशन्स में एक्सपट्र्स ने युवाओं के साथ विचार विमर्श किया। इस दौरान समाजिक संवाद की गुणवत्ता बढ़ाने में सोशल मीडिया की भूमिका विषय पर युवाओं के साथ चर्चा में फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि युवाओं का कोई लेफ्टविंग या राइटविंग नहीं होना चाहिए, उनके लिए सिर्फ इंडिया विंग होना चाहिए। सोशल मीडिया की भूमिका पर चर्चा करने के लिए राजनीतिक विश्लेषक एवं लेखक शुभ्रास्था, प्रज्ञता के संस्थापक आशीष धर और ओप इंडिया के संस्थापक राहुल रौशन भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
अतीत से सीखना है जरूरी

शुभ्रास्था ने युवाओं से कहा कि संवाद में संयम और सौहार्द होना चाहिए। जब आप किसी गंभीर विषय पर लिख-बोल रहे हैं, तो वहां पर अपशब्दों को उपयोग आपके चरित्र और विचार की कमजोरी को दर्शाते हैं। थिंक टैंक प्रज्ञाता के संस्थापक आशीष धर ने बताया कि देश में तीन तरह के लोग होते हैं। एक, जो देश पर गर्व करते हैं। दो, जो देश के विरुद्ध होते हैं। तीसरे, जो किसी के साथ नहीं होते। किंतु यह देश के मतदाता हैं। पांच साल में एक बार अपने मताधिकार का उपयोग करते हैं। इसलिए इन्हें मुख्यधारा से जोडना आवश्यक है। ‘सामाजिक समावेश और सांस्कृतिक अखण्डताÓ विषय पर चर्चा में थिंक टैंक इंडिक कलेक्टिव के संस्थापक साई जे. दीपक ने कहा कि हमें अपने अतीत को कोसना नहीं चाहिए बल्कि उससे कुछ सीखना होगा। जब तक हम अपने अतीत से अच्छी चीजें नहीं सीखेंगे, तब तक हमारा आगे बढ़ाना मुश्किल है।
7 साल में 400 से अधिक प्राचीन मंदिरों का किया डॉक्यूमेंटेशन
इसके अलावा कार्यक्रम में ट्रैवलर और दो किताबों के ऑथर पंकज सक्सेना भी शामिल हुए जो कि देशभर के प्राचीन मंदिरों पर रिसर्च और उनके डॉक्यमेंटेशन का काम कर रहे हैं जिससे छिपी हुई देश की टेंपल शिल्प और वास्तुकला सामने आ सके। इस मौके पर उन्होंने पत्रिका से बातचीत में अपनी टेंपल ट्रैवलिंग पर बात की। उन्होंने बताया कि 2011 में पहली बार पुरी का जगन्नाथ और कोनार्क सूर्य मंदिर देखा। सूर्य मंदिर जिसे हम आज देखते हैं वह असली मंदिर का सिर्फ 30 प्रतिशत हिस्सा ही है, बाकि आक्रमणकारियों द्वारा तोड़ दिया गया था। पर वह भी भव्यत, सुंदरता और उस समय की अद्भुद कला शिल्प को समेटे हुए है। इसी तरह जगन्नाथ पुरी के मंदिर से शहर का लगभग प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में जुड़ा है। यह बात मंदिरों के समाजिक प्रभाव को दर्शाती हैं। इसी से प्रभावित हो एक-एक कर देश भर के मंदिरों को खोजना और उनकी फोटोग्राफ व जानकारी लेकर एक जगह पर लाना शुरू कर दिया। अब तक 400 से ज्यादा प्रचीन मंदिरों की जानकारी एकत्रित कर चुका हूं जो तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, ओडिसा, महाराष्ट्र आदि राज्यों मे हैं। हालांकि यह संख्या आधी भी नहीं है ऐसे मंदिरों की।
मंदिर ऐसे कि वल्र्ड हेरिटेज लिस्ट में मिलनी चाहिए जगह
पंकज सक्सेना बताते हैं कि भारत में कुछ ही मंदिर हैं जो वल्र्ड हेरिटेज साइट में है। जबकि ऐसे प्राचीन मंदिर बड़ी संख्या में है जिनकी खूबसूरती, लैंडस्केपिंग, कॉन्सेप्ट की बात करें तो वे ताज महल से भी अच्छी है। ऐसी राष्ट्रीय धरोहर के प्रति सरकार जागरूक नहीं है और उनका रखरखाव भी नहीं कर रही है। वहीं, यूरोप में प्राचीन समय की एक छोटी-सी बेंच का भी अच्छी तरह रखरखाव किया जाता है। वे बताते हैं कि मंदिर जहां एक ओर ऐतिहासिक पहलू से महत्वपूर्ण हैं, वहीं इनके जरिए प्राचीन समाज की बेस्ट चीजों को सीखा और समझा जा सकता है। दक्षिण भारतीय मंदिरों का शिल्प कला इतना श्रेष्ठ है कि मंदिर के बड़े पत्थरों पर अंगुली के एक-तिहाई साइज के इंसान के सैकड़ों स्कल्पचर बनाए गए हैं जिनमें सभी के एक्सप्रेशन अलग दिए गए हैं। इसी तरह श्रीरंगनाथ स्वामी मंदिर के अंदर पूरा शहर बसा हुआ है, यह सबसे अनोखी बात है।

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