भोपाल। सोशल मीडिया पर कई तरह के कटेंट विभिन्न ग्रुप्स में वायरल होते हैं। कई मैसेज तो ऐसे होते हैं जिनका कोई सोर्स नहीं होता है। वे सिर्फ आम लोगों को भड़काने का काम करते हैं। विभन्न फोटो और वीडियो को एडिट कर उन्हें एक वर्ग विशेष को उग्र करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
यही कारण है कि सोशल मीडिया के कारण मॉब लीचिंग की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार इसे लेकर अलर्ट हो गई है। सरकार चाहती है कि कोई ऐसा डेटा सेंटर हो, जिसके जरिए वह कटेंट की निगरानी कर सके। हालांकि यूथ ऐसा नहीं चाहता। उन्हें डर है कि कहीं सरकार यदि ऐसी नीति बनाती है तो उनकी गोयनीयता को खतरा हो सकता है।
सर्ट इंडिया करता है मॉनिटरिंग हालांकि, ये बात बहुत कम यूजर्स को पता होगी कि अभी भी कटेंट की सरकारी एजेंसी निगरानी कर रही है। सर्ट(कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस) इंडिया अभी भी डेटा मॉनिटरिंग का काम करती है। ये एजेंसी क्राइम कंट्रोल करने के तरीकों पर भी सरकार को रिपोर्ट करती है।
एजेंसी सोशल साइट्स के ट्रैफिक की मॉनीटरिंग करती है। वह देखती है कि कम्यूनिकेशन के लिए किस तरह के की-वड्र्स यूज किए जा रहे हैं। वह यह पता लगाती है कि किसी घटना के लिए या किसी बात पर किस तरह के की-वड्र्स का यूजर्स यूज कर रहे हैं। और इनसे समाज में किस तरह का माहौल बन रहा है। हालांकि, अभी सीधे कार्रवाई करने का प्रावधान नहीं है। पुलिस के पास शिकायत आने के बाद ही कार्रवाई की जाती है।
कई तरह के ग्रुप्स एक्टिव अभी सोशल साइट्स पर कई तरह के गुप्स एक्टिव हैं। फेसबुक और व्हाट्स एप जैसी साइट्स पर कई धर्म और जाति विशेष के ग्रुप्स भी बने हुए हैं, जिन पर लगातार आपत्तिजनक कटेंट आता है।
हालांकि इसे लेकर निजी और सरकारी स्तर पर अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं। पुलिस द्वारा कार्रवाई के डर से कई यूथ इस तरह के ग्रुप्स से लेफ्ट होने के साथ ही इन्हें ब्लॉक करने के साथ इनकी रिपोर्ट भी करते हैं।
डेटा का हो सकता है गलत यूज एक्सपर्ट का कहना है कि यदि सरकार यूजर्स का डेटा की निगरानी करने के लिए कोई डेटा सेंटर बनाती है। ये प्राइवेसी में कहीं न कहीं हस्तक्षेप होगा। यूजर्स को पता भी नहीं पाएगा कि वे अपने किसी साथी से जो बात कर रहे हैं उस पर सरकार की नजर है।
इससे जहां यूजर्स की गोपनीयता भंग होगी, वहीं ये जानकारियां प्राइवेट कंपनीज के हाथों में जाने का खतरा भी बना रहेगा। यदि कोई डेटा निजी एजेंसी या कंपनी को बेच देता है, वह अपने प्रोडक्ट सेल के लिए इसका गलत यूज भी कर सकती है।
अभी सर्ट इंडिया सोशल साइट्स के कटेंट की निगरानी करती है। यदि गर्वमेंट सीधे डेटा सेंटर के माध्यम से निगरानी करती है तो इससे यूजर्स की प्राइवेसी खतरे में पड़ जाएगी। निजी कंपनियों के पास यदि डेटा चले जाए तो वो इसका गलत यूज भी कर सकती है। कटेंट की निगरानी के फायदे के साथ कई तरह के खतरे भी हैं।
कुलभूषण यादव, सायबर एक्सपर्ट मॉब लीचिंग की घटनाओं को रोकने की जरूरत तो है लेकिन कटेंट निगरानी से यूजर्स की प्राइवेसी खतरे में पड़ जाएगी। सरकार को घटनओं को रोकने के लिए कोई सेफ तरीका खोजना चाहिए। मृदुला भारद्वाज
मॉब लिचिंग की घटनाओं पर रोक लगना चाहिए। कुछ हद तक निगरानी होना भी जरूरी है, लेकिन यूजर्स की प्राइवेसी भी जरूरी है। मेरी हिसाब से सोशल साइट्स के इस्तेमाल पर एज लीमिट भी तय किया जाना सख्ती से जरूरी है। हर उम्र वर्ग के व्यक्ति का इस कटेंट का अलग-अलग असर होता है। भावना सिंह
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