शहर की शिक्षाविद् प्रीति खरे का कहना है कि दो वर्ष पूर्व स्वीडन की लड़की ग्रेटा थंबल ने पूरे विश्व में पर्यावरण बचाने की मुहिम छेड़ी थी। आज पूरा विश्व उसके साथ खड़ा है। गे्रटा से प्रभावित आरूष कुमार ने भी भोपाल में स्टूडेंट का ग्रुप बनाकर बनाकर पर्यावरण संरक्षण का कार्य शुरू किया है।
इन स्टूडेंट्स ने फ्राइडे फॉर फ्यूचर गु्रप बनाया है, जो हर शुक्रवार को शहर की अलग-अलग लोकेशन पर जाकर प्रदर्शन करता है। सितंबर के पहले शुक्रवार को वल्लभ भवन के सामने प्रदर्शन कर सरकार से क्लाइमेट इमरजेंसी घोषित करने की मांग की थी।
तब से कई स्कूल, कॉलेज, मार्केट, चौराहों/तिराहों पर प्रदर्शन किए गए हैं। विधायकों के लिए नए आशियाने बनाने के लिए पेड़ों को काटे जाने का विरोध करते हुए इस गु्रप ने रास सांसद दिग्विजय सिंह और पर्यावरण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा।
मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए भी हर साल हजारों पेड़ काटने का विरोध यह गु्रप कर रहा है। प्लेनेट बिफोर प्रोफिट के नारे को देने वाले इस गु्रप में ज्योति खरे, सुनील दुबे, एक्सीलेंस कॉलेज से सोनल शर्मा, मेनिट से दीपक कुमार, सुनील, दीपक यादव, बाल भवन से कुशाग्र, सतांकर, सरोजिनी नायडू कॉलेज से रिंकी वर्मा, हमीदिया कॉलेज से रोहित सैनी समेत कई छात्र व बुद्धिजीवी शामिल हैं।
प्रीति की टीम ने ठाना, पर्यावरण को बचाना
प्लेनेट बिफोर प्रॉफिट का नारा देकर खरे ने राजधानी और आसपास के इलाकों का पर्यावरण बचाने के लिए कमर कस ली है। उन्होंने शहर में पर्यावरण बचाने की दिशा में काम कर रहे लोगों को अपने साथ जोड़ा है। इसके साथ ही वन्यजीवों और अन्य जीव-जंतुओं को बचाने के लिए उनके समूह का काम रफ्तार पकड़ रहा है।
प्रीति का कहना है कि बायोडायवर्सिटी का ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी हो गया है। पेड़-पौधे और जीव-जंतु नहीं रहेंगे तो मानव जीवन भी असंभव हो जाएगा। अनियोजित निर्माण और विकास कार्यों के लिए योजनाएं बनाने के लिए शासन को सुझाव दिए जाएंगे।