रीवा के रहने वाले युवा प्रभात श्रीवास्तव कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियर हैं। इंदौर की एक कंपनी में जॉब पाने के बाद भी गायन के लिए नौकरी छोड़ दी। आरुषि संस्था में वे दिव्यांग बच्चों को कम्प्यूटर व संगीत की शिक्षा भी दे रहे हैं। प्रभात का कहना है कि जब वे चार वर्ष के थे, तब उनकी मां उनके पिता को पुराने गाने सुनाया करती थीं। यहीं से उन्हें गायन में रुचि पैदा हुई। भोपाल में नवकार गु्रप से जुड़े प्रभात इस समय अनूप श्रीवास्तव से लाइट म्यूजिक का प्रशिक्षण ले रहे हैं।
सलीम अल्लाहवाले संगीत उस्ताद साहब अली खान की आठवीं पुश्त से हैं। उनके दादा देवास राजदरबार में संगीतकार थे और पिता उस्ताद दद्दू खान तबला वादन व गजल गायकी में माहिर थे। सलीम ने अभी तक ५०० के लगभग कंसर्ट में प्रतिभाग किया है। उनके साथ गीत-गजल गायन व संगीत की दुनिया के बड़े नाम छन्नूलाल मिश्रा, देबू चौधरी, उस्ताद अब्दुल लतीफ खान, पीनाज मसानी, मोइनुद्दीन खान जैसे टॉप ग्रेड आर्टिस्ट की संगत रही है। २० बार तानसेन समारोह के अलावा बाबा हरवल्लभ समारोह, अमीर खान समारोह, कुमार गंधर्व समारोह, खजुराहो नृत्योत्सव, गोवा व दिल्ली समारोह समेत कई प्रतिष्ठित आयोजनों में हिस्सा लिया।
मशहूर गायक किशोर कुमार के अंदाज में गाने वाले वैभव केसकर भी जानी-मानी हस्ती है। वर्ष १९९५ व २००३ में वैभव दो बार सा रे गा मा में भी भाग ले चुके हैं। वैभव का कहना है कि पति-पत्नी के प्रेम को लेकर अर्पिता संस्था व मंजिलें के संयुक्त प्रयास उन्हें बहुत पसंद आ रहा है। एक सबसे अलग प्रोग्राम है, जिसमें कई परिवारों में नई उमंग व नए तरीके से जीवन को देखना-समझना सिखाते हैं। गीत-संगीत के जरिए वाकई बहुत सुकून देता है और फिर लोग मनमुटाव खत्म कर प्यार से जीना शुरू करते हैं।