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बच्चों को मोबाइल से दूर रखे, उन्हें अपनी संस्कृति से अवगत कराएं

locationभोपालPublished: Mar 12, 2018 11:21:09 am

गायत्री शक्तिपीठ में आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी कार्यशाला में पहुंची महिलाएं, स्त्री रोग विशेषज्ञ सहित कई चिकित्सक भी जुटे

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भोपाल. बच्चों को सुसंस्कार देना माताओं की जिम्मेदारी है। महिला के गर्भधारण के साथ ही इसकी शुरुआत हो जाती है और उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। महिलाएं गर्भावस्था के दौरान खुश रहें, धार्मिक ग्रंथ पढ़ें, मधुर संगीत सुनें घर का माहौल खुशनुमा रखें, तो गर्भावस्था में ही बच्चों को अच्छे संस्कार दे सकती हैं। संतान को सुसंस्कार देने की सबसे पहली जिम्मेदारी माता पर है। हर मां का कत्र्तव्य है कि वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें।

एमपी नगर स्थित गायत्री शक्तिपीठ में रविवार को आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी कार्यक्रम के तहत कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें स्त्री रोग विशेषज्ञ सहित कई महिलाओं ने बच्चों के सुसंस्कारों में मां की भूमिका पर चर्चा की। स्त्री रोग विशेषज्ञों ने बताया कि महिलाएं गर्भावस्था के दौरान स्वयं और गर्भस्थ शिशु का ख्याल कैसे रखें।

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि डॉ. मृणाली गोरे ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान योग , ध्यान , प्राणायाम करें, तो गर्भस्थ शिशु संस्कारी और स्वस्थ होगा, मां को भी इसका लाभ मिलेगा। मुख्य अतिथि डॉ. अमिता सक्सेना ने महिलाओं के गर्भवती होने से शिशु के जन्म तक किस तरह उसके स्वास्थ्य के साथ-साथ संस्कारों का रोपण गर्भ में ही हो सकता है, इसकी जानकारी दी।

इस ओर अधिक ध्यान देने की जरूरत

पॉवर प्वाइंट स्लाइड्स के जरिए कुछ वीडियो भी दिखाए। गायत्री शक्तिपीठ की मधु श्रीवास्तव ने कहा कि बच्चों को अच्छे संस्कार देकर वीर योद्धा अभिमन्यु, विवेकानंद, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम , मदर टेरेसा जैसी विभूतियां तैयार की जा सकती हैं। वर्तमान में इस ओर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों को मोबाइल से दूर रखें और उन्हें अपनी संस्कृति से अवगत कराएं, महापुरुषों के बारे में बताएं, तो एक संस्कारी युवा पीढ़ी का निर्माण किया जा सकता है। इसमें माताओं को ही अग्रणी भूमिका निभानी होगी। इस मौके पर बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं।

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