भुवनेश्वर

केबीसी में अमिताभ के सामने होंगे कलिंग में निहत्थी लड़ाई के नायक अच्युत सामंत

Achyuta samanta: अच्युत सामंत करीब 27 हजार आदिवासी बच्चों को मुफ्त शिक्षा (Free education to tribals students) देते हैं। आदिवासी बच्चों का प्रवेश महज आधार कार्ड और बीपीएल कार्ड दिखाते ही हो जाता है। बच्चों के लिए खाने पीने का इंतजाम इतना बेहतर होता है कि बच्चे छुट्टी में भी घर नहीं जाते हैं। इतने बड़े पैमाने पर आदिवासी बच्चों को मुफ्त शिक्षा, खाना, हास्टल देने वाला यह विश्व का पहला संस्थान है।

भुवनेश्वरNov 14, 2019 / 12:49 am

arun Kumar

केबीसी

केबीसी में कर्मवीर श्रृंखला की अगली कड़ी में होंगे गरीब बच्चों के मसीहा
भुवनेश्वर
सोनी टीवी के कार्यक्रम कौन बनेगा करोड़पति में डा. अच्युत सामंत 15 नवंबर को 9 बजे रात को सुपरस्टार अमिताभ बच्चन से रूबरू होंगे। उन्हें कर्मवीर श्रृंखला की अगली कड़ी के लिए चुना गया है। कर्मवीर स्पेशल के मेजबान यानी होस्ट अमिताभ बच्चन हैं। ओडिशा के रहने वाले डा. सामंत किस और कीट यूनिवर्सिटी के संस्थापक हैं। शिक्षाविद् के रूप में इनकी वैश्विक पहचान किस (कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज) के संस्थापक के रूप में हैं जहां आज की तारीख 27 हजार आदिवासी बच्चे केजी से पीजी तक नि:शुल्क शिक्षा पाते हैं। कीट (कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी) और किम्स (कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) के भी संस्थापक हैं। कंधमाल से बीजू जनता दल के सांसद डा. अच्युत सामंत के साथ इस मौके बॉलीवुड एक्ट्रेस तापोसी पन्नू उनकी सहयोगी भी होंगी। इस शो में डा. सामंत अपने शुरुआती दिनों के संघर्ष की कहानी के साथ ही कुछ प्रेरक प्रसंग भी बताएंगे। एक शिक्षाविद् के रूप में लोकोपकार में सामंत का बड़ा नाम है। उनकी सिस्टर डा. इतिरानी सामंत भी साथ होंगी। डा. सामंत अमिताभ बच्चन के लिए ओडिशा का फेमस खाद्य पदार्थ छेनापूड़ा और छात्रों द्वारा बनायी गई पेंटिंग भी लेकर जाएंगे। बिग बी के साथ छोटे परदे पर आने का यह उनका दूसरा अनुभव होगा। इससे पहले वह एनडीटीवी की मुहिम बनेगा स्वच्छ इंडिया में अमिताभ के साथ टीवी पर दिखाई दिए थे।

संघर्ष में बीता सामंत का बचपन

 

चार साल की आयु में सामंत के सिर से पिता का साया उठा गया था। ओडिशा के कटक जैसे बेहद पिछड़े जिले के दूरदराज के गांव में जन्मे थे। उनका गांव जगतसिंहपुर जिले में आता है। वह परिवार चलाने के लिए सब्जी बेचकर विधवा मां का सहारा बने, विुपरीत परिस्थितियों के बाद भी पढ़ाई नहीं छोड़ी। शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अलग करने उन्होंने ठान लिया था। एमएससी (कैमेस्ट्री) से करने और उत्कल विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में कुछ समय पढ़ाने के दौरान वह इस विषय पर विचार करते रहते थे कि कुछ अलग करेंगे। इसके लिए तभी से कदम बढ़ा दिए।

ऐसे चल पड़ी जिंदगी की गाड़ी

केबीसी में अमिताभ के सामने होंगे कलिंग में निहत्थी लड़ाई के नायक अच्युत सामंत

वर्ष 1992-93 में पांच हजार रुपये की पूंजी और 12 छात्रों से उन्होंने भुवनेश्वर में कीट (कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी) की स्थापना की जिसकी पूंजी आज 800 करोड़ से भी ज्यादा है। कीट चला ही नहीं दौडऩे लगा तो 54 वर्षीय डा.सामंत को असली लक्ष्य का ख्याल आया कि गरीब आदिवासी बच्चों को पहली कक्षा से पोस्ट ग्रेजुएट तक की शिक्षा, छात्रावास और भोजन मुफ्त में मुहैया कराना है। इसके लिए अच्युत सामंत ने 1997 में डीम्ड यूनिवर्सिटी कीट के अन्तर्गत किस (कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज) की स्थापना की। यहां पर आज करीब 27 हजार आदिवासी बच्चे पढ़ते हैं। निदेशक (पीआर) श्रद्धांजलि नायक बताती हैं कि आदिवासी बच्चों के प्रवेश आधार कार्ड और बीपीएल शो करने पर ही कर दिए जाते हैं। बताते हैं कि खाना और पढऩे का इंतजाम इतना बेहतर होता है कि बच्चे छुट्टी में हॉस्टल में रह जाते हैं। इस प्रकार इतने बड़े पैमाने पर आदिवासी बच्चों को मुफ्त शिक्षा, खाना, हास्टल देने वाला विश्व का यह पहला संस्थान बना। इंजीनियरिंग, एमबीए, मेडिकल जैसी तालीम के बाद यहां के बच्चे बेहतर पेशों में जाते हैं। दुतीचंद यहीं की हैं। तीरंदाजी में नेशन फेम खिलाड़ी हुए हैं।

संपत्ति के नाम जीरो हैं सामंत

केबीसी में अमिताभ के सामने होंगे कलिंग में निहत्थी लड़ाई के नायक अच्युत सामंत

डा. अच्युत सामंत खुद कहते हैं कि जायदाद के नाम पर उनके पास कुछ नहीं है। न्यूनतम जरूरतों का खर्चा विश्वविद्यालय उठाता है। उनका बैंक बैलेंस भी शून्य हैं। संस्थान को चलाने के लिए वह किसी से चंदा नहीं मांगते। हां, लोग अपनी मर्जी दे भी देते हैं। कीट और किस परिसर में अच्युत सामंत साइकिल से चलते हैं या फिर पैदल घूमते हैं। उनके पास यूनिवर्सिटी परिसर में कोई दफ्तर तक नहीं है। किस में तो वह एक पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठ जाते हैं, वही उनका दफ्तर हो जाता है। किस और कीट के दस हजार से ज्यादा स्टाफ की संस्थान और सामंत के प्रति आस्था का आलम यह है कि वेतन का तीन प्रतिशत हर महीने संस्थान को डोनेशन देते हैं। इस जज्बे को देखकर लगता है कि दो हजार साल पहले कलिंग की एक खौफनाक लड़ाई ने सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन कर भारत का इतिहास मोड़ दिया था। आज उसी कलिंग में अशिक्षा के खिलाफ एक लड़ाई चल रही है जिसके नायक हैं डा. अच्युत सामंत।

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