पराजित प्रत्याशियों ने कहा कि पार्टी में अंतरर्विरोध उनकी पराजय का कारण था। बीजेपी को उम्मीद थी कि विधानसभा में सम्मानजनक स्कोर होगा। नेताओं का कहना था कि 50 से 60 सीटों तक बीजेपी ओडिशा में ले आएगी। पर ऐसा नहीं हुआ। बीजेपी की दस ऐसी सीटें रहीं, जिन पर उसके प्रत्याशी पांच हजार से भी वोटों से हार गए। इसके अलावा 13 ऐसी विधानसभा सीटें चिन्हित की गई जिन पर पांच से आठ हजार के बीच वोटों से बीजेपी हारी। यही नहीं 81 सीटों पर वे दूसरे स्थान पर रहे। अमित शाह ने ओडिशा इकाई को 36 हजार बूथ समितियों को प्रति बूथ 400 वोट लाने का लक्ष्य दिया था। यानी करीब डेढ़ करोड़ वोटों का लक्ष्य दिया था। हालांकि कामयाबी मिली थी।
2014 में 18 प्रतिशत वोट पाने वाली बीजेपी को 32 से 35 प्रतिशत वोट ओडिशा में मिले। ओडिशा में बीजेपी के दिग्गज नेता प्रदीप पुरोहित का कहना है कि उन्हें इसलिए हार का सामना करना पड़ा क्योंकि कांग्रेस का वोट बीजू जनता दल की तरफ शिफ्ट हो गया था। ब्रजराज नगर से पराजित हुईं राधारानी पंडा का कहना है कि स्पिलिट वोटिंग में लोगों ने लोकसभा के लिए तो बीजेपी उम्मीदवार को वोट किया, पर विधानसभा के लिए बीजेडी को किया। इस कारण नुकसान हुआ और वह हार गई। विधायक रहीं राधारानी को 9,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। राधारानी पंडा कहती हैं कि ऐसा लगता है कि जैसे स्पिलिट वोटिंग का फायदा विधानसभा में बीजेडी लोकसभा में भाजपा को मिलने को लेकर कोई गुप्त समझौता रहा हो।