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ओडिशा में जारी रहेगा शाह का मिशन 120 प्लस, रणनीति पर चल रहा काम

locationभुवनेश्वरPublished: Jun 10, 2019 07:58:19 pm

Submitted by:

Prateek

2014 में 18 प्रतिशत वोट पाने वाली बीजेपी को 32 से 35 प्रतिशत वोट ओडिशा में मिले…

pradhan

ओडिशा में जारी रहेगा शाह का मिशन 120 प्लस, रणनीति पर चल रहा काम

(भुवनेश्वर): बीजेपी अध्यक्ष केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ओडिशा में मिशन 120 प्लस जारी रखने को कहा है। इसका मतलब ओडिशा विधानसभा में 120 से ज्यादा सीटें हासिल करना है। हालांकि पिछले चुनाव में ही यह लक्ष्य तय था। मोदी-शाह की जोड़ी ने दस से ज्यादा जनसभाएं करके मतदाताओं को बीजेपी की ओर करने का प्रयास किया था। पर लोकसभा में 8 और विधानसभा में 23 सीटें ही मिल पाईं। 2014 के चुनाव में बीजेपी की ओडिशा से लोकसभा में एक और विधानसभा में 10 सीटें थीं। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कार्यकर्ताओं की बैठक में मिशन 120 प्लस दोहराया और कहा कि अभी से इस लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति बनानी होगी। जमीनी स्तर पर काम करना होगा। बूथ समितियों को मजबूती देते हुए मो बूथ सबू थु मजबूत का नारा बुलंद करने की जरूरत पर बल दिया गया।


पराजित प्रत्याशियों ने कहा कि पार्टी में अंतरर्विरोध उनकी पराजय का कारण था। बीजेपी को उम्मीद थी कि विधानसभा में सम्मानजनक स्कोर होगा। नेताओं का कहना था कि 50 से 60 सीटों तक बीजेपी ओडिशा में ले आएगी। पर ऐसा नहीं हुआ। बीजेपी की दस ऐसी सीटें रहीं, जिन पर उसके प्रत्याशी पांच हजार से भी वोटों से हार गए। इसके अलावा 13 ऐसी विधानसभा सीटें चिन्हित की गई जिन पर पांच से आठ हजार के बीच वोटों से बीजेपी हारी। यही नहीं 81 सीटों पर वे दूसरे स्थान पर रहे। अमित शाह ने ओडिशा इकाई को 36 हजार बूथ समितियों को प्रति बूथ 400 वोट लाने का लक्ष्य दिया था। यानी करीब डेढ़ करोड़ वोटों का लक्ष्य दिया था। हालांकि कामयाबी मिली थी।


2014 में 18 प्रतिशत वोट पाने वाली बीजेपी को 32 से 35 प्रतिशत वोट ओडिशा में मिले। ओडिशा में बीजेपी के दिग्गज नेता प्रदीप पुरोहित का कहना है कि उन्हें इसलिए हार का सामना करना पड़ा क्योंकि कांग्रेस का वोट बीजू जनता दल की तरफ शिफ्ट हो गया था। ब्रजराज नगर से पराजित हुईं राधारानी पंडा का कहना है कि स्पिलिट वोटिंग में लोगों ने लोकसभा के लिए तो बीजेपी उम्मीदवार को वोट किया, पर विधानसभा के लिए बीजेडी को किया। इस कारण नुकसान हुआ और वह हार गई। विधायक रहीं राधारानी को 9,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। राधारानी पंडा कहती हैं कि ऐसा लगता है कि जैसे स्पिलिट वोटिंग का फायदा विधानसभा में बीजेडी लोकसभा में भाजपा को मिलने को लेकर कोई गुप्त समझौता रहा हो।

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