पदयात्रा को राज्य सरकार के पर्यटन मंत्री अशोक चंद्र पंडा ने झंडी दिखायी। पदयात्रा राज्य के खंडगिरि, उदयगिरि, धउलागिरि, ललितगिरि व रत्नगिरि जाएगी। भुवनेश्वर के बाहरी हिस्से धउली से पदयात्रा शुरू की गयी। यह रत्नगिरि में 31 अक्टूबर को समाप्त होगी। इस बीच 140 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इसका उद्देश्य पर्यावरण जागरूकता के कारण बौद्ध भिक्षु लोगों को पर्यावरण संरक्षण की बाबत जानकारी भी देंगे।
इस पदयात्रा भूटान, नेपाल, आस्ट्रेलिया, तिब्बत, मलेशिया, सिंगापोर, ताइवान के भी बौद्ध भिक्षु हैं। ये लोग विश्व शांति का संदेश देने को निकले हैं। पर्यटनस्थल और पर्यावरण इनकी प्राथमिकता है। मंत्री पंडा ने कहा कि ओडिशा में भगवान बुद्ध से जुड़े कई पर्यटनस्थल हैं। विश्व के कई देशों के लोग यहां आते हैं। यह राज्य पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है। भगवान बुद्ध को मानने वाले तो ओडिशा को तीर्थ की तरह देखते हैं। पदयात्रा का उद्देश्य पर्यटन एवं पर्यावरण संरक्षण हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी।