किन्नर अखाड़ा की ओडिशा महामंडलेश्वर किन्नर मीरा परीडा कहती हैं कि सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले ने भारत में प्यार करने वालों को नयी सांसे देकर उनकी उम्र बढ़ा दी। मीरा कहती हैं कि कुछ रिव्यू रिटपिटीशन की बात करते हैं, मेरी राय में वो खीझ मिटा रहे हैं। खाता न बही जो सुप्रीमकोर्ट कहे, वही सही। यह पूरी तरह से निजी मामला है। मीरा का कहना है कि एलजीबीटी कम्युनिटी को वैधता मिल गई है। सोशल वर्कर मीरा परीड़ा किन्नरों के हित के लिए संघर्षरत हैं। यह लड़ाई विश्व के कई देशों में लड़ी जा रही थी।
हुई प्यार की जीत!
भुवनेश्वर में सक्रिय एक और एक्टीविस्ट किन्नर मेघना साहू जो ओला टैक्सी चालक भी हैं, उनका कहना है कि भारत ने भले ही आजादी पा ली हो पर एलजीबीटी को आजादी नहीं मिली। यह अब सुप्रीमकोर्ट के दखल के बाद मिली। उनका कहना है कि उन्हें किसी से प्यार हुआ, तो उन्होंने विवाह भी किया। इज्जतदार लोग, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता उनके विवाह समारोह में शामिल भी हुए थे। मीडिया ने हाईलाइट किया था। कटक ट्रांसजेंडर एसोसिएशन की अध्यक्ष काजल का कहना है कि यह एक बहुत लंबी लड़ाई थी जिसमें प्यार जीता । अब समलैंगिकों के रिश्ते को स्वीकारने की परीक्षा समाज को देनी है । बहुत बड़े क्रांतिकारी परिवर्तन की ओर देश ने कदम रखा है । हम लोगों को आजादी का अनुभव हो रहा है ।