छपाक के बाद राज्यों के प्रमुख शहरों में एनजीओ द्वारा संचालित तेजाबी हमले से बची युवतियों के लिए शीरोज हैगआउट कैफे खोलने के प्रयास तेज हो गए हैं। ओडिशा जैसे राज्य में एसिड पीडि़ताओं के राहत एवं पुनर्वासन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। हालांकि शुभाश्री दास जैसी सामाजिक कार्यकर्ता इस दिशा में प्रयासरत हैं, लेकिन उचित सहयोग न मिलने के कारण उनका जोश थोड़ा शिथिल पड़ा था पर छपाक ने उनके प्रयासों को नई दिशा दी है।
तेजाबी हिंसा का उन्मूलन (इरेडिकेशन ऑफ एसिड वॉयलेंस) पर परिचर्चा के दौरान एएसडब्ल्यू डब्ल्यू एफ (एसिड सरवाइवर्स एंड वूमेन वेलफेयर फाउंडेशन) ने यह चौंकाने वाला डेटा पेश किया। इस संस्था के ओडिशा चैप्टर के प्रमुख टीएन पंडा कहते हैं कि उनकी संस्था ने 70 एसिड अटैक सरवाइवर्स में से दस को पूरा सपोर्ट दिया है। इस एनजीओ के प्रमुख दिव्यलोक राय चौधरी ने कोलकाता से फोन पर बताया कि 2017 तक एसिड अटैक की 70 घटनाए हुई हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो डेटा के हवाले से कहा कि 44 प्रतिशत एसिड अटैक सरवाइवर्स सिर्फ उत्तर भारत के हैं तो 27 प्रतिशथ पूर्वी भारत के हैं। ओडिशा भी पूर्वी भारत का राज्य है। राहुल आगे कहते हैं कि उनकी संस्था साइको-सोशल रीहेबिलिटेशन सेंटर खोलने जा रहा है जहां पर एसिड अटैक सरवाइवर्स की देखभाल की जाएगी। उन्हें हौसला दिया जाएगा।
स्टॉप एसिड़ अटैक के बैनर पर पीडि़ताओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता शुभाश्री दास कहती हैं कि ओडिशा एसिड अटैक की घटनाओं को देखते हुए पीडि़ताओं को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है। उनका कहना है कि यह कार्य शीरोज कैफे के माध्यम से किया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने भुवनेश्वर शीरोज कैफे खोलने के लिए प्रोजेक्ट बनाया है। शुभाश्री के पास 59 एसिड अटैक की घटनाओं की रिपोर्ट है। उनके अनुसार प्रोजेक्ट रिपोर्ट की प्रतिलिपि नालको, सलमान खान के फाउंडेशन को सौंपी है ताकि उनकी मदद से शीरोज कैफे इन्हीं एसिड अटैक पीडि़ताओं से चलवाकर उन्हें अपने पांव पर खड़ा होने अवसर दिया जाए। यही नहीं ओडिशा सरकार के समाज कल्याण विभाग के सचिव को भी दी है। यह कैफे एसिड अटैक पीडि़त महिलाएं चलाती हैं। यूपी के आगरा, लखनऊ में संचालित किया जा रहा है। इससे कई पीडि़ता की जिंदगी बदल गयी। उन्हें जीने का सहारा मिल गया। लखनऊ में तत्कालीन अखिलेश यादव की सरकार के कार्यकाल शीरोज कैफे के लिए भूमि व अन्य सुविधाएं मिली थीं।
राज्य दिव्यांग आयोग की प्रमुख सुलोचना दास कहती हैं कि एसिड अटैक पीडि़ता के लिए दिव्यांगता कानून में भी प्रावधान है। विभाग उन्हें प्राथमिकता देता है। एसिड अटैक पीडि़ताओं के राहत और पुनर्वासन के लिए हर संभव मदद को तत्पर हैं।