भुवनेश्वर
उका क्या गुनाह था जो तेजाब से उसका चेहरा जला दिया गया था। तब वह सिर्फ 16 साल की थी, इंटर में पढ़ती थी। अद्र्धसैनिक बल के कैंप का जवान उस पर मर मिटा था। जबकि प्रमोदिनी राउल उसे बिलकुल पसंद नहीं करती थी। उसने भी ठान ली थी कि तुम मेरी नहीं होगी तो किसी की नहीं होने दूंगा। एक दिन उसने मोटर साइकिल से अपने किसी दोस्त के साथ आकर अचानक प्रमोदिनी को तेजाब से नहला दिया। चंद मिनट में उस तेजाबी ‘छपाकÓ ने सपने स्याह कर दिए। आखिर वह भी तो सुंदर दिखना चाहती थी, नृत्य और खेल के अपने शौक पूरा करना चाहती थी…।
हमले मेंं जाती रही आंखों की रोशनी
यह घटना 2009 की है। प्रमोदिनी की एक आंख तेजाबी हमले में जाती रही। दूसरी आंख में भी ऑपरेशन के बाद भी 19 प्रतिशत ही रोशनी रह गई है। अब वह अपने जीवन साथी सरोज साहू की आंखों से देखती है। विवाह के लिए फौजी का प्रस्ताव ठुकराने की सजा भुगत रही जगतसिंह पुर की प्रमोदिनी की जिंदगी उसे बोझ लगने लगी थी मगर सरोज के साथ ने उसे हौंसला दिया। मगर फिर भी उस मंजर को याद कर वह सिहर जाती है।
प्रमोदिनी कहती है कि इकतरफा प्यार के जुनून ने उसकी यह हालत कर दी। एफआईआर के बाद जांच शुरू हुई तो उसे आरोपी से उसे धमकियां मिलीं। बाद में वर्ष 2017 में आरोपी गिरफ्तार हुआ और जेल में है। सरोज ने मुझे नयी जिंदगी दी। वह कहती है कि उसे प्यार से नफरत नहीं है। वैलेंटाइन डे लाइक करने की वजह सरोज है। वही उसका वैलेंटाइन है। वह कहती है कि उसने तो सोचा भी नहीं था कि सरोज के रूप में प्यार एक दिन उसकी दहलीज पर खड़ा मिलेगा। प्रमोदिनी का सरोज कुमार साहू मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है।