(भुवनेश्वर): आए दिन होने वाले जलभराव व जलवायु परिस्थितियों के चलते तेजी से क्षरण हो रहे कोर्णाक के सूर्य मंदिर की तर्ज पर एक और सूर्य मंदिर आसपास बनाने की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री महेश शर्म्रा को लिखे पत्र में सूर्य मंदिर को सुरक्षित रखने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जलनिकासी की स्थायी व्यवस्था की जानी चाहिए। नवीन ने यह भी कहा है कि उनकी सरकार खुद यह कार्य करा सकती है यदि केंद्र सरकार की अनुमति मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में यह कार्य कराया जाए।
जलभराव के कारण पर्यटकों ने आना छोड़ा
बीते दो दिनों की भारी बारिश से ओडिशा के कोर्णाक सूर्य मंदिर को भी पानी-पानी कर दिया है। जलभराव ने पर्यटकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से बरसात का पानी दो-दो दिन तक भरा रहता है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा को लिखे पत्र में सूर्य मंदिर को सुरक्षित रखने की मांग की है। कोर्णाक का यह मंदिर विश्व धरोहर है। सीएम ने 13वीं शताब्दी के कोणार्क के सूर्य मंदिर को सुरक्षित रखने के लिए तेजी से कदम उठाने को कहा है। पटनायक ने इस मंदिर में जल की उचित निकासी की स्थायी व्यवस्था सुनिश्चित करने में केंद्र सरकार को कदम उठाने को कहा है। पटनायक ने कहा कि विश्व धरोहर कोर्णाक का सूर्य मंदिर को बचाना प्राथमिकता होनी चाहिेए।
यूनेस्को ने 1984 में घोषित किया विश्व धरोहर
सूर्य मंदिर को यूनेस्को ने 1984 में विश्व धरोहर घोषित किया था। जलभराव से पर्यटक नहीं आ पा रहे हैं और सूर्य मंदिर के प्रति लोगों की भावनाएं भी आहत हो रही है। मुख्यमंत्री का कहना है कि जल भराव की समस्या का स्थायी समाधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कोर्णाक के सुर्य मंदिर का अभिरक्षक है। केंद्र सरकार इस विभाग को उचित निर्देश दे।
दुनिया का सातवां आश्चर्य है कोर्णाक
भारत के 12 सूर्य मंदिरों में से एक कोर्णाक सूर्य मंदिर का स्थान सर्वोच्च माना जाता है। बहुत ही खूबसूरत और रहस्य की परते लिए कोर्णाक सूर्य मंदिर जगन्नाथ धाम पुरी जिले के उत्तर-पूर्वी किनारे समुद्र तट पर है। कोर्णाक शब्द, कोण, अर्क शब्दों के मेल से बना है। अर्क का अर्थ है सूर्य जबकि कोण कोने या किनारे से रहा होगा। बताते हैं कि कोर्णाक मंदिर को पहले समुद्र के ठीक किनारे बनाया गया था पर समुद्र कम होने के कारण दूरी बढ़ गयी। रंग गहरा होने के कारण इस सूर्य मंदिर को काला पगोड़ा भी कहा जाता है। इसे दुनिया का सातवां आश्चर्य भी माना जाता है।