23 जुलाई को हुई थी दुर्घटना
23 जुलाई, 2019 रात को भरतपुर क्षेत्र में खदान भूस्खलन की वजह से दुर्घटना हुई। इसके पश्चात तलचर के स्थानीय लोगों द्वारा वहां की सभी कोयला खदानों के खनन कार्य को बंद कर दिया गया था। बंद जारी है। खदान की स्थिति असुरक्षित हो गई एवं दैनिक सुरक्षा आकलन का जांच कार्य भी बंद हो गया। स्थानीय विरोधा जारी है। जानकारी के अनुसार कंपनी जल्द से जल्द खनन कार्यों को फिर से शुरू करने के लिए सभी प्रकार प्रयास करने में जुटी है। उधर श्रमिक और स्थानीय लोग भी अपनी मांग पर अड़े हैं। संबंधित लोगों को वहां जाने से रोका जा रहा है। बताते हैं कि जांच, परिवहन सडक़ों, कोयले में आंतरिक दहन, जल भराव और डंप स्लाइड्स, इलेक्ट्रिसिटी ब्रेकडाउन सहित, तकनीशियनों द्वारा समय-समय पर रखरखाव नहीं किए जाने से खनन मशीनें भी खराब होने का अंदेशा है। चार श्रमिक संगठनों ने खदानों की सुरक्षा, मुआवजा, उच्चस्तरीय जांच के मद्देनजर अनगुल जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा और हस्तक्षेप की मांग की।
मुआवजे व आश्रित को नौकरी पर नहीं बनी बात
इस बीच, महानिदेशक खान सुरक्षा (डीजीएमएस) और आंतरिक सुरक्षा संगठन (आईएसओ) द्वारा की जा रही जांच के अलावा, एमसीएल ने केंद्रीय खनन और ईंधन अनुसंधान संस्थान धनबाद को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए नियुक्त किया है। बताया जाता है कि कंपनी ने उचित मुआवजा और परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी आश्वासन दे रही है पर बात नहीं बन पा रही है। बीएमएस के इंडस्ट्रियल यूनिट एबीकेएमएस के बिशेष दल के सदस्य नरेंद्र सिंह, कोल इंडिया सुरक्षा परिषद के बृजेंद्र राय, वर्किंग कमेटी के सदस्य बादल महाराणा, संजय माझी ने एमसीएल के अधिकारियों के साथ खदान का निरीक्षण किया। बाद में मीडिया को बताया कि प्राथमिक अनुसंधान से यह स्पष्ट होता है कि खदान नियमों का सम्पूर्ण उल्लंघन करते हुए वहां माइनिंग हो रही थी। खनन सुरक्षा निदेशालय की भूमिका पर सवाल उठाए गए। डीजीएमएस का सुरक्षा प्रबंधन प्लान केवल फाइलों सीमित है। इनका यह भी कहना है कि पांच से सात मजदूरों के दबे होने की आशंका है। बारिश के कारण रेस्क्यू आपरेशन प्रभावित हुआ है। प्रबंधन चार मौतों की तस्दीक कर रहा है।