चिटफंड घोटाले के कुछ रोचक तथ्य
चिंटफंड कंपनियों का खेल पश्चिम बंगाल के बाद ओडिशा सबसे ज्यादा बताया जाता है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रोज वैली चिटफंड कंपनी के खिलाफ धन शोधन जांच से जुड़े मामले में 2,300 करोड़ की संपत्तियां जब्त की हैं। इन जब्त संपत्तियों में रिसॉर्ट, होटलों व भूखंड शामिल हैं। ईडी अधिकारी ने कहा, “संपत्तियों में नौ होटल, 11 रिसॉर्ट के साथ करीब 200 एकड़ का एक भूखंड व पश्चिम बंगाल के जिलों में 400 अतिरिक्त भूखंड शामिल हैं। इन जब्त किए गए संपत्ति का कुल मूल्य 2300 करोड़ रुपये है। 2017 से बीजद विधायक प्रवात बिस्वाल सीशोर चिटफंड कंपनी के फ्राड के आरोप में जेल में थे। मयूरभंज के बीजद सांसद रामचंद्र हंसदा भी दो माह पहले जमानत पर छूटे हैं। अर्थ तत्व ग्रुप, सीशोर जैसी बड़ी कंपनियां भी चिटफंड घोटाले की आरोपी हैं। ओडिशा की 45 बड़ी चिटफंड कंपनियों में करीब 25 हजार करोड़ रुपया लोगों का फंसा है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 300 करोड़ रुपये का एक कॉरपस फंड बनाया है जिससे जिन गरीबों की रकम डूबी है उन्हें सरकार से कुछ मदद मिल जाए।
चिटफंड कंपनियों को बचा रही नवीन सरकार—धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पर आरोप लगाया कि चिटफंड के आरोपियों को सजा दिलाने में राज्य सरकार जानबूझकर विलंब कर रही है। राज्य में भारी संख्या में छोटी-छोटी बचत करने वालों के करोड़ों रुपये डूब चुके हैं। ऐसे लोगों का रुपया आश्वासन के बाद भी सरकार नहीं लौटा रही है। यह अपने आप में बड़ा घोटाला है। नवीन सरकार ने 2013 से डूबी रकम लौटाने का वादा कर रही हैं, पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। चिटफंड घोटाले में हालांकि गरीब लोगों की डूबी रकम वापस दिलाने का उनका चुनावी वादा था पर सरकार बनते ही वह भूल गये। नवीन पटनायक ने इसके लिए 300 करोड़ रुपये का एक कॉरपस फंड बनाया था। प्रधान का आरोप है कि ओडिशा के गरीबों का पैसा सत्ता दल के मंत्री, विधायक और सांसदों ने मिलकर लूट लिया है। पटनायक इन्हीं लोगों के नेता हैं। यह सब उनकी जानकारी में हुआ है। उन्होंने कहा कि जब भी मुख्यमंत्री वादाखिलाफी झूठ बोलने का आरोप लगाया जाता है तो उनकी पार्टी के डिफेंसिव मोड पर आ जाती हैं।