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ओडिशा में बीजेपी का फेस धर्मेंद्र, अपराजिता लड़ सकती हैं लोस चुनाव

locationभुवनेश्वरPublished: Jan 03, 2019 03:15:49 pm

Submitted by:

Prateek

हालांकि इस पर धर्मेंद मीडिया से कह चुके हैं कि यह पार्टी का फैसला होगा कि उनसे क्या काम लेना है,जैसा आदेश होगा वही करूंगा…

dharendra pradhan

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(पत्रिका ब्यूरो,भुवनेश्वर): क्या ओडिशा में बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी का चेहरा तय कर लिया है? आदिवासी वोटों पर जोर देने के कारण जुएल ओरम भी ओडिशा में बीजेपी का चेहरा बनने की स्थिति में आ गए हैं। हालांकि धर्मेंद्र प्रधान के मंत्रालय से जुड़ी ज्यादातर परियोजनाओं का उद्घाटन या शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं और प्रधान की नजदीकी कुछ और ही राग अलाप रहे हैं।

 

अपराजिता को लेकर चर्चा तेज

 

aparajita

इस बीच आईएएस की नौकरी छोड़कर बीजेपी की राजनीति में आयीं अपराजिता भी चर्चा में हैं। तो ओडिशा में बीजेपी का चेहरा कौन? दबी जुबान से कभी कभार प्रताप सारंगी का नाम भी उछाला जाता है। बीजेपी के उच्चपदस्थ सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को ही आगे करके पार्टी ओडिशा में लड़ेगी। बाकी नतीजों के समय कुछ फेरबदल हो जाए तो बड़ी बात न होगी। यह भी पता चला है कि प्रधान को विधानसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है। हालांकि इस पर धर्मेंद मीडिया से कह चुके हैं कि यह पार्टी का फैसला होगा कि उनसे क्या काम लेना है। जैसा आदेश होगा वही करूंगा।


बीजेपी अपना रही कांटे से कांटा निकालने की रणनीति

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि बीजेपी के निशाने पर एक विशेष अधिकारी हमेशा रहता है। क्या उसका वर्चस्व खतम करने के लिए प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष की सहमति से लोकप्रिय रहीं पूर्व आईएएस अधिकारी अपराजिता को बीजेपी 2019 में चुनाव मैदान में उतारेगी? सारंगी के पति भी प्रतिनियुक्त पर केंद्र में तैनात आईएएस अफसर हैं। दोनों की ब्यूरोक्रेसी पर पकड़ है। ऐसा कहा जा रहा है कि कांटे से कांटा निकालने के रणनीति के तहत अपराजिता को लाया गया है। तो क्या आते ही वह कद्दावर नेता हो गयीं हैं, क्योंकि उनकी ज्वाइनिंग मोदी और शाह की रणनीति का हिस्सा बताई जाती है। अपराजिता आते ही राज्य बीजेपी में एक गुट को खटकने लगी हैं। कालांतर में अपराजिता को राज्य में जिम्मेदारी दी जा सकती है। कुछ लोग तो उनके भुवनेश्वर लोकसभा सीट से लड़ने की भी अटकलें लगा रहे हैं।


राय व महापात्रा के इस्तीफे से मची खलबली

बताते हैं कि अपराजिता के पार्टी में आने की भनक पहले से राज्य के नेताओं को नहीं थी। यह बीजेपी हाईकमान का फैसला है। उनकी शाह के निवास पर ज्वाइनिंग के समय केंद्रीय मत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्य अध्यक्ष बसंत पंडा व प्रभारी अरुण सिंह प्रमुख रूप से थे। क्षेत्र के विकास कार्यों में केंद्र सरकार के असहयोगात्मक रवैये व प्रधान से नाराजगी के चलते बीजेपी के दो दिग्गजों के इस्तीफों (30 नवंबर) से बीजेपी में खलबली है। पहला इस्तीफा राउरकेला के विधायक दिलीप राय का है और दूसरा राष्ट्रीय परिषद सदस्य विजय महापात्र का है। ये दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में प्रभावी हैं। समीकरण प्रभावित कर सकते हैं।


2019 में ओडिशा विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और बीजेपी इसकी तैयारी में लगी हुई है। पार्टी ने तय परिपाटी को तोड़ते हुए बहुत पहले ही मुख्यमंत्री के तौर पर अपना चेहरा तय कर दिया है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पार्टी से सीएम पद के उम्मीदवार होंगे। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रधान को सीएम पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

 

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