इस वजह से बचा ओडिशा
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के डिजास्टर रिस्क रिडक्शन विभाग ने भी कहा था कि सरकार की जीरो कैजुअलटी पॉलिसी और मौसम विभाग के वॉर्निंग सिस्टम से मिली सटीक चेतावनियों के चलते नुकसान को काफी कम कर दिया गया है। फानी आने से पहले 14 लाख लोगों को तटवर्ती क्षेत्रों से अन्यत्र शिफ्ट किया गया था। ऐसा न होता तो जनहानि हजारों में होती।
राज्य में हुई 13,000 करोड़ की क्षति
विशेष राहत आयुक्त विष्णुपद सेठी ने बताया कि फानी प्रभावित जिलों के आंकड़ों को अंतिम रूप देने के बाद राज्य सरकार को सौंपा जाएगा। सेठी कहते हैं कि क्षति का आंकलन पहले किया गया था तब 11,942 करोड़ की क्षति आंकी गयी थी। अब 13,000 करोड़ है। यह बढ़ भी सकती है। सार्वजनिक संपत्ति को ज्यादा क्षति हुई। पांच लाख घर ही ध्वस्त हो गए हैं। पांच हजार करोड़ रुपया तो इनके निर्माण के लिए चाहिए। ध्वस्त हुए बिजली का बुनियादी ढांचा ठीक करने के लिए 12,00 करोड़ खर्च होंगे। फानी से हुई प्रभावित क्षेत्रों की क्षति का आंकलन करने के लिए राज्य सरकार ने तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को लगाया है। सर्वाधिक प्रभावित पुरी जिले का प्रभार सुरेश महापात्र को सौंपा गया है जबकि खोरदा का चार्ज कृष्णकुमार को दिया है और कटक संजीव चोपड़ा देख रहे हैं।
अंधेरे में रहने को मजबूर पांच लाख लोग
राहत विभाग के एक आंकलन के अनुसार ओडिशा के तटवर्ती जिलों में 1.64 लाख परिवारों के पांच लाख से ज्यादा लोग बीते एक महीने से अंधेरे में रहने को मजबूर हो रहे हैं। पुरी जिले के सर्वाधिक प्रभावित 1,51,889 लोग अंधेरे में हैं। दिन में 45 डिग्री सेल्सियस का तापमान, पेड़ विहीन गांव और रात की गर्मी के कारण यहां के लोग उबल से रहे हैं। फानी से राज्य के 14 जिलों के 1.65 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। अधिकारिक तौर पर 64 मौते हुईं हैं जिनमें 39 मौतें तो पुरी में ही हुई हैं।
65 हजार स्कूल क्षतिग्रस्त
राहत एवं पुनर्वासन में लगे अधिकारियों का दावा है कि फानी के चलते ध्वस्त हुई बिजली व्यवस्था से 25 लाख 1 हजार 131 लोग प्रभावित हुए थे। इनमें 23 लाख 36 हजार 584 लोगों को बिजली मिल चुकी है। तूफान से अंगुल, ढेंकानाल, कटक, पुरी, नयागढ़, खुर्दा, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर और जाजपुर जिले प्रभावित हुए। इन इलाकों में पीने का पानी, बैंकिंग, दूरसंचार और अन्य सेवाओं को बहाल किया जा चुका है। पुरी निवासी ओडिशा सरकार के शिक्षा मंत्री समीर रंजन दास का कहना है कि विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि 19 जून को गरमी की छुट्टियां खत्म होने से पहले स्कूलों की मरम्मत पूरी कर लें। करीब 65 हजार स्कूल भवन क्षतिग्रस्त हुए हैं।