सुंदरी नामक बंगाल टाइग्रेस 28 जून को बांधवागढ़ से लाई गई थी। उसे 17 अगस्त को बाड़े से निकाल कर जंगल में छोड़ा गया था। इससे पहले शेर छोड़ा गया था। इनका दूसरे राज्यों के माहौल में छोड़ने की नीति और टाइगर की संख्या बढ़ाने के लिए सतकोसिया लाया गया था। इस तरह का यह पहला मामला बताया जाता है। ओडिशा और मध्यप्रदेश सरकारों के बीच आपसी अनुबंध के बाद यह निर्णय लिया गया था।
बांधवगढ़ (मध्यप्रदेश) नेशनल पार्क से वन्य प्राणी विभाग का विशेषज्ञ दल को ओडिशा के सतकोसिया टाइगर रिजर्व बुलाया गया है। यह दल बांधवगढ़ से लायी गई शेरनी सुंदरी को ट्रैंकुलाइज करके वापस मध्यप्रदेश ले जा सकता है। विभागीय स्तर पर बातचीत चल रही है। वन्य प्राणि विभाग के अधिकारी और अनुगुल के पुलिस अधीक्षक ने बांधवगढ़ नेशनल पार्क को लिखा है।
बताया जाता है कि समय से पहले ही इसे बाड़े से बाहर छोड़ दिया गया था। यह टाइगर रिजर्व क्षेत्र के गांवों के आसपास मंडराने लगी। हाथीबाड़ी गांव की महिला कैलासी गरनायक का बाघिन ने मार दिया था। कैलासी बकरी चराने गयी थी। वहीं पर तालाब में नहा रही थी कि अचनाक बाघिन आ गयी। गुस्साए गांव वालों ने वन विभाग के ठीकरापाड़ा वन क्षेत्र के पांपासार व पुरुनाकोटे दफ्तरों और चौकियों और नावों में आग लगा दी थी। चौतरफा नाकाबंदी करके आवाजाही रोक दी थी।