25 अगस्त से शुरू हुआ सिलसिला
हरपीज से 25 अगस्त को नंदन कानन प्राणी उद्यान में मादा हाथी जूली की मौत हो गई थी। फिर 15 सितंबर को चंदन नामक हाथी की भी मौत हो गई थी। चार दिन बाद फिर 19 सितंबर को कमला हाथी भी मर गयी। इनकीद सभी की मौत का कारण हरपीज बीमारी बताया गया। छह साल की हथिनी सोनी तथा दो साल केहाथी मामा की हालत भी बहुत गंभीर है। हरपीज से मरने वाले हाथियों के नाम इस प्रकार हैं। बीती 25 अगस्त को जूली, 15 सितंबर को चंदन, 19 सितंबर कामिया और 20 सितंबर को गौरी की मौत हो गयी। प्रेमा, बसंती और मामा हाथी वायरस की जकड़ में हैं। इनका इलाज किया जा रहा है।
वायरस ने किया बेहाल
बताया जा रहा है कि एंडोथेलइयोट्रापिक हरपीज वायरस नंदन कानन में फैल गया है। इससे पशुओं को खतरा उत्पन्न हो गया है। एंटी वायरल ड्रग से यह रोग ठीक किया जा सकता है। नंदन कानन अधिकारियों ने सेंट्रल जू अथॉरिटी को हाथियों की मौत से अवगत करा दिया है। उनसे दिशा निर्देश भी मांगे हैं। कम उम्र के हाथियों पर यह वायरस जल्दी प्रभावी हो जाता है। बताया जाता है कि हरपीज तेजी से फैलने वाला संक्रामक रोग है जो दक्षिण भारत के हाथियों में पाया जाता है। संभव है कि अन्य हाथी भी इससे पीडि़त हों और ये संवाहक बन सकते हैं। यह रोग मनुष्य के लिए भी बहुत खतरनाक बताया जाता है।