वाइल्ड लाइफ सोसाइटी ऑफ ओडिशा और वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया के सचिव विश्वजीत महंति द्वारा जारी साझी सूचना के मुताबिक 1990 से लेकर अब तक 1,400 हाथी मारे जा चुके हैं। ऐसा मानव और वन्य जीव के बीच एक दूसरे की सुरक्षा और शिकारियों के कारण हुआ है। इस आंकड़े में 591 तो बीते आठ साल में मारे गए। इसी दौरान हाथियों द्वारा 1,200 लोग मारे जा चुके हैं। इनमें 569 तो बीते आठ साल में मारे जा चुके हैं। इस प्रकार 1990 से 2000 के बीच मृत्युदर 33 प्रतिशत थी, जो बढ़ कर 2010 तक 46 प्रतिशत हो गई। यह भी जानकारी मिली है कि 2010-11 से 2017-18 के बीच औसतन 73 हाथी हर साल मारे जा रहे हैं।